किन्नर भी करते है एक दिन के लिए शादी, फिर करते है जश्न के बाद विलाप…

शादी करना हर किसी का सपना होता है और शादी का दिन भी उतना ही खास होता है। लेकिन जब किसी किन्नर की शादी की बात आती है तो सभी हैरान हो जाते है… कि भला एक किन्नर कैसे शादी कर सकता है और किससे… किन्नर का नाम सुनते ही सब सोच में पड़ जाते है, जो कि न स्त्री है और न ही पुरुष। आप यह बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि किन्नर भी शादी करते है। लेकिन इनकी शादी के जुड़े ऐसे तथ्य है। जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। किन्नर जिसे आप विवाह या फिर किसी शुभ मुहूर्त में शिरकत करके आर्शीवाद देखा होगा। माना जाता है कि किन्नर का आर्शीवाद किसी भगवान से कम नहीं होता है। लेकिन आप जानते है कि किन्नर भी एक दिन के लिए विवाह करते है। वो भी भगवान से। जानिए ऐसे ही किन्नर के विवाह से जुड़ी और रोचक बातें।

वैसे तो किन्नर के विषय में हम सभी जानते हैं। उनसे जुड़ी एक कथा के अनुसार आजतक वे एक ऐसी परंपरा निभा रहे हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं। वास्तव में किन्नर एक रात के लिए शादी करते हैं। आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि किन्नर किसी और से नहीं बल्कि अपने ही देवता से एक रात के लिए शादी करते हैं।

करते है भगवान से विवाह

जी हां किन्नर एक दिन के लिए भगवान से विवाह करते है और दूसरे दिन ही विधवा हो जाते है। वह अपने भगवान अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन ज‌िन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाते है। वह इनसे विवाह करते है।

जश्न के बाद होता है विलाप

आप ये बात जानकर हैरान रह जाएंगे कि विवाह के बाद किन्नर जश्न मनाते है। इसके बाद अपने देवता इरावन को पूरे शहर में घूमाते है। इसके बाद उस मूर्ति को तोड़ देते है। फिर किन्नर विलाप करते है और विधवा हो जाते है।

ऐसे हुई विवाह की शुरुआत

किन्नर के विवाह की शुरुआत महाभारत से बताई जा रही है। इसके अनुसार महाभारत के युद्ध में हिस्‍सा लेने से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की और पूजा के बाद इन्‍हें एक राजकुमार की बलि देनी थी। बलि के लिए कोई भी राजुकमार तैयार नहीं हुआ। मगर इरावन तैयार हो गया, लेकिन उसकी एक शर्त थी कि वह बिना शादी किए बलि पर नहीं चढ़ेगा। आप सबसे बड़ा सवाल था कि एक दिन के लिए इरावन से शादी कौन करेगा।

श्री कृष्ण ने निकाला हल

अब शादी की बात में श्री कृष्ण ने इसका हल निकाला। वह मोहिनी का रुप धारण करके आए और इरावन से शादी से की। अगले द‌िन सुबह इरावन की बल‌ि दे दी गई और श्री कृष्‍ण ने व‌िधवा बनकर व‌िलाप क‌िया। इस घटना को याद करके ही किन्‍नर एक दिन के लिए विवाह करते हैं और अगले दिन विधवा हो जाते हैं।

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18 दिन चलता है विवाहोत्‍सव

तमिल नववर्ष की पहली पूर्णमासी को किन्‍नरों के विवाह का उत्‍सव शुरू होकर 18 दिनों तक चलता है। 17वें दिन ये अपने भगवान इरावन के साथ ब्‍याह रचाते हैं और अगले दिन सारा श्रृंगार उतारकर विधवा की भांति विलाप करते हैं।