लखनऊ। योगी सरकार ने दिव्यांगजनों को सशक्त करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिव्यांगजन को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण के लिए वित्तीय अनुदान की राशि को 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 15 हजार रुपए कर दिया है। अनुदान राशि में इस वृद्धि से अब प्रदेश के दिव्यांगजनों को महंगे कृत्रिम अंग और सहायक उपकरणों का वितरण भी किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण वितरण के लिए वित्तीय अनुदान स्वीकृत करने की नियमावली के तहत अब तक 10 हजार रुपए के अनुदान की व्यवस्था थी। योगी सरकार ने इस नियमावली में संशोधन कर इसे 15 हजार रुपए करने का निर्णय लिया है। *दिव्यांगजनों को मिलेगा अतिरिक्त लाभ*प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि प्रदेश में दिव्यांगजनों के हितों को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार सभी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
इसी क्रम में दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण के लिए अनुदान प्रदान करने की नियमावली में संशोधन किया गया है। संशोधन के तहत दिव्यांगजन को कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण इत्यादि के वितरण के लिए वित्तीय अनुदान की अधिकतम धनराशि प्रति लाभार्थी वर्तमान सीमा 10 हजार से बढ़ाकर 15 हजार रुपए कर दी गई है। इससे दिव्यांगजनों को महंगे उपकरण वितरण में अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
नियमावली के तहत यदि किसी दिव्यांगजन को अधिकतम अनुदान की सीमा 15 हजार से अधिक धनराशि के उपकरणों की आवश्यकता है तो इस स्थिति में विभाग द्वारा लाभार्थी को अधिकतम अनुमन्य 15 हजार की धनराशि प्रदान की जाएगी, जबकि अतिरिक्त धनराशि का वहन स्वयं संबंधित दिव्यांगजन के द्वारा किया जाएगा।
एक से अधिक कृत्रिम अंग भी खरीदे जा सकेंगे
उन्होंने बताया कि प्रदेश के दिव्यांगजनों के हितों को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम अंग एवं सहायक उपकरण योजना के अंतर्गत दिव्यांगजन को उपलब्ध कराई जाने वाली अनुदान की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपए के अंतर्गत उसे आवश्यक एक से अधिक उपकरण भी प्रदान किए जाने की अनुमन्यता की आवश्यकता है, जिससे कि दिव्यांगजन को आवश्यक सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग एक साथ उपलब्ध कराया जा सके।
वहीं, बहुदिव्यांगता की दशा में या जिन दिव्यांगजन को एक से अधिक सहायक उपकरण की आवश्यकता होती है, उनके लिए एक बार में अधिकतम 15 हजार रुपए तक का वित्तीय अनुदान स्वीकृत किया जाएगा। यह संशोधन वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 से प्रभावी होगा।