अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले को आज 20 साल पूरे हो गए। साल 2001 यानी 20 साल पहले आज ही के दिन अमेरिका आतंकी हमलों से दहल उठा था। 11 सितंबर 2001 का दिन अमेरिका के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज है। इसी दिन दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसने 2996 लोगों की जान ले ली। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस घटना को अमेरिकी इतिहास का सबसे काला दिन करार दिया था।
उस दिन 19 अल कायदा आतंकियों ने 4 पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए थे और जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले हजारों लोग भी मारे गए। हमला जिन विमानों से किया गया उनकी रफ्तार 987।6 किमी/घंटा से ज्यादा थी। दोनों इमारतें दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बच सका।
लंबे समय बाद साफ़ हुआ 130 मदरसों के अनुदान का रास्ता, 52 पर लटक रही जांच की तलवार
उस दिन 19 अल कायदा आतंकियों ने 4 पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए थे और जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया, जिससे विमानों पर सवार सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले हजारों लोग भी मारे गए। हमला जिन विमानों से किया गया उनकी रफ्तार 987।6 किमी/घंटा से ज्यादा थी। दोनों इमारतें दो घंटे के अंदर ढह गए, पास की इमारतें नष्ट हो गईं और अन्य क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी उड़ान से कोई भी जीवित नहीं बच सका।
इस खौफनाक आतंकी हमले में 2996 लोगों की जान चली गई थीं, जिनमें 400 पुलिस अफसर और फायरफाइटर्स भी शामिल थे। मरने वालों में 57 देशों के लोग शामिल थे। पूरी इमारत करीब 2 घंटे में मलबे में तब्दील हो गई थी। मारे गए लोगों में केवल 291 शव ही ऐसे थे जिनकी ठीक से पहचान की जा सके। गौरतलब है कि इस हमले के बाद भारतीय व्यापारियों ने हजारों टन मलबे को करीब 23 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इसमें से निकले लोहा और स्टील को रिसाइकल कर नई इमारतों में इस्तेमाल किया गया था।