मकर संक्रांति 2021 इस साल बेहद खास संयोग में आ रहा है। इस पर अच्छी बात यह भी है कि इस साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर किसी तरह का कन्फ्यूजन भी नहीं है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही पूरे देश में मनाई जाएगी। इसी दिन पोंगल, बिहू और उत्तरायण पर्व भी मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति पर सूर्य का मकर में प्रवेश
मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाए जाने की वजह यह है कि इस साल ग्रहों के राजा सूर्य का मकर राशि में आगमन गुरुवार 14 जनवरी को हो रहा है। गुरुवार को संक्रांति होने की वजह से यह नंदा और नक्षत्रानुसार महोदरी संक्रांति मानी जाएगी जो ब्राह्मणों, शिक्षकों, लेखकों, छात्रों के लिए लाभप्रद और शुभ रहेगी। शास्त्रों का मत है कि संक्रांति के 06 घंटे 24 मिनट पहले से पुण्य काल का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त से संक्रांति का स्नान दान पुण्य किया जा सकेगा। इस दिन दोपहर 02 बजकर 38 मिनट तक का समय संक्रांति से संबंधित धार्मिक कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। वैसे पूरे दिन भी स्नान दान किया जा सकता है।
मकर संक्रांति की तिथि का इतिहास
मकर संक्रांति पर तिथियों को लेकर बीते कुछ वर्षों में उलझन की स्थिति बनी हुई रहती है क्योंकि कई बार सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी को शाम और रात में होता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार संक्रांति अगले दिन माना जाता है। आपको बता दें कि मकर संक्रांति का समय युगों से बदलता रहा है। ज्योतिषीय गणना और घटनाओं को जोड़ने से मालूम होता है कि महाभारत काल में मकर संक्रांति दिसंबर में मनाई जाती थी। ऐसा उल्लेख मिलता है कि 6ठी शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के समय में 24 दिसंबर को मकर संक्रांति मनाई गई थी। अकबर के समय में 10 जनवरी और शिवाजी महाराज के काल में 11 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई थी।
सूर्य की चाल से मकर संक्रांति की तारीख का रहस्य
मकर संक्रांति की तिथि का यह रहस्य इसलिए है क्योंकि सूर्य की गति एक साल में २० सेकंड बढ जाती है। इस हिसाब से 5000 साल के बाद संभव है कि मकर संक्रांति जनवरी में नहीं बल्कि फरवरी में मनाई जाएगी। वैसे इस साल अच्छी बात यह है कि मकर संक्रांति पर सूर्य का आगमन 14 तारीख को सुबह में ही हो रहा है इसलिए मकर संक्रांति गुरुवार 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति के साथ समाप्त हो जाएगा खरमास
मकर संक्रांति को सूर्य के धनु राशि में आने से खरमास समाप्त हो जाएगा। लेकिन इस बार खरमास समाप्त होने पर भी विवाह और दूसरे शुभ कार्य का आयोजन नहीं किया जा सकेगा। इसकी वजह यह है कि मकर संक्रांति के 03 दिन बाद ही गुरु अस्त हो जा रहे हैं। गुरु तारा अस्त होने से शुभ कार्यों पर 14 फरवरी तक विराम लगा रहेगा।
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इसलिए अबकी बार मकर संक्रांति
इस बार मकर संक्रांति के दिन सबसे खास बात यह है कि सूर्य के पुत्र शनि स्वयं अपने घर मकर राशि में गुरु महाराज बृहस्पति और ग्रहों के राजकुमार बुध एवं नक्षत्रपति चंद्रमा को साथ लेकर सूर्यदेव का मकर राशि में स्वागत करेंगे। ग्रहों का ऐसा संयोग बहुत ही दुर्लभ माना जाता है क्योंकि ग्रहों के इस संयोग में स्वयं ग्रहों के राजा, गुरु, राजकुमार, न्यायाधीश और नक्षत्रपति साथ रहेंगे। सूर्य का प्रवेश श्रवण नक्षत्र में होगा जिससे ध्वज नामक शुभ योग बनेगा। ग्रहों के राज सूर्य सिंह पर सवार होकर मकर में संक्रमण करेंगे। ऐसे में राजनीति में सत्ता पक्ष का प्रभाव बढ़ेगा और देश में राजनीतिक उथल-पुथल, कुछ स्थानों पर सत्ता में फेरबदल भी हो सकता है।