लखनऊ: तीन दिन से बुजुर्ग पिता को घर भेजने के लिए दो बेटों की काउंसिलिंग चल रही थी, लेकिन सारी कोशिशें बेकार हो गईं। बेटों की हरकतों से आजिज आ चुके बुजुर्ग ने साथ जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद बाजारखाला पुलिस ने बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद की तहरीर पर दोनों बेटों विजय व बृजेश के खिलाफ मारने-पीटने व प्रताड़ित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया। थाने पहुंचे रामेश्वर प्रसाद के सामने जब उनके बेटे पहुंचे तो उन्होंने उनकी तरफ देखने तक से इन्कार कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि वृद्धाश्रम में सिर पर छत और इज्जत की दो रोटी तो मिलेगी। चार दिन की जिंदगी यहीं पर काट लूंगा, पर इनके साथ नहीं जाऊंगा।
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को वन स्टॉप सेंटर की टीम ने 85 वर्षीय बुजुर्ग को सरोजनीनगर के वृद्धाश्रम में पहुंचाया था। बुजुर्ग का आरोप था कि उनके दोनों बेटों ने उन्हें प्रताड़ित किया। बड़े बेटे ने मारा-पीटा और घर से अपमानित करके निकाल दिया था। बीमारी की हालत में हाथ में यूरिन बैग पकड़े बुजुर्ग सड़क पर पड़े थे। वन स्टॉप सेंटर की टीम की मदद से उन्होंने केस दर्ज करवाया है। प्रभारी निरीक्षक बाजारखाला विनोद कुमार यादव के मुताबिक, जांच की जा रही है।
हाथ में यूरिन बैग पकड़े बेटी के घर पहुंचे तो उसने कहा- बेटे हैं तो उनके पास जाओ
अकसर कहा जाता है कि जिसकी औलादें हों, उसे बुढ़ापे की क्या चिंता, लेकिन 85 साल के रामेश्वर प्रसाद के मामले में ऐसा नहीं है। दो कमाऊ बेटे और चार बेटियां होते हुए वे दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं। बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया तो बेटी ने साफ कह दिया- बेटे हैं तो उनके पास जाओ, हम नहीं रख सकते। हाथ में यूरिन बैग, थैला लिए सड़क पर पड़े रामेश्वर प्रसाद को वहां से गुजर रहीं प्रियंका सिंह की सूचना पर 181 वन स्टॉप सेंटर की टीम ने पिछले सोमवार को सरोजनीनगर स्थित एसएस वृद्धाश्रम में आश्रय दिलवाया।
सेंटर में काउंसिलिंग के दौरान रामेश्वर प्रसाद ने एक पत्र लिखकर दर्द बया किया। बताया कि पुराना टिकैतगंज में घर है। खड़े मसाले का काम था, जो उनकी उम्र बढ़ने के साथ बंद हो गया। चार बेटियां हैं, जिनकी शादी हो गई है। बेटे ड्राइवर हैं, जिन्होंने घर से निकाल दिया। तबीयत बिगड़ने पर बलरामपुर अस्पताल में जाकर भर्ती हो गए, वहां से शनिवार को डिस्चार्ज किया गया तो बेटी के घर गए, लेकिन उसने भी पनाह नहीं दी। भीगी आंखों से बताया कि कमाई बंद हुई तो मैं बोझ बन गया, बड़ा लड़का तो दो बार मार भी चुका है।
उन्होंने निवेदन किया कि अब काम भी नहीं कर सकता, खाने और दवा की दिक्कत हो रही है। किसी वृद्धाश्रम में जगह दिलवा दीजिए। 181 वन स्टॉप सेंटर प्रभारी अर्चना सिंह ने बताया कि जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनीता सिंह ने तुरंत बुजुर्ग को आश्रय दिलवाया। डीपीओ विकास सिंह के निर्देश पर सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
छह महीने में 350 शिकायतें बुजुर्गों की
वरिष्ठ नागरिकों के लिए काम करने वाली संस्था गाइड समाज कल्याण संस्थान की संस्थापक डॉ. इंदु सुभाष बताती हैं कि बीते छह महीने में 350 शिकायतें पूरे प्रदेश से हेल्पलाइन पर दर्ज हुई हैं। इनमें बेटे-बहू के हिंसा करने, खाना न देने या फिर संपत्ति हड़प लेने की हैं। स्थिति का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि सरोजनीनगर में समाज कल्याण के वृद्धाश्रम में 100 से अधिक बुजुर्ग हर वक्त रहते हैं।
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सीनियर सिटीजन एक्ट को जानें
डॉ. इंदु सुभाष कहती हैं कि पहले सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत पिता-माता को प्रताड़ित करने पर बेटा-बेटी कानून के दायरे आते थे। 2019 में इसमें संशोधन करते हुए सौतेले बच्चों, दत्तक बच्चों, पुत्रवधू आदि को भी इसके दायरे में लाया गया है। इसमें 10 हजार रुपये प्रतिमाह या इससे ज्यादा का भी भुगतान करने का निर्देश न्यायाधिकरण बच्चों को दे सकता है। तीन से छह महीने का कारावास या 10 हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। संशोधन विधेयक के मुताबिक सास-ससुर व दादा-दादी को भी प्रताड़ित करने पर यह दंड दिए जाने का प्रावधान है।