गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रस्तुत है संत कबीर के गुरु पर रचे दोहे -सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपगार. लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावण हार. -सतगुरु सांचा सुरिवां, सबद ज्यूं बाह्या एक. लगत ही मैं मिल गया, पड्या कलैजे छैक. -गूंगा हुआ बावला, बहरा हुआ कान. पाऊं थैं …
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