सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में प्रवेश के लिए सरकार की अग्निपथ योजना को बरकरार रखने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने से संबंधित दो याचिकाओं को खारिज कर दिया और योजना की वैधता की पुष्टि की।
अग्निपथ योजना शुरू होने से पहले भारतीय वायुसेना में भर्ती से जुड़ी एक और याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 17 अप्रैल की तारीख तय की है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि अग्निपथ योजना की शुरुआत से पहले रक्षा बलों के लिए रैलियों, शारीरिक और चिकित्सा परीक्षणों जैसी भर्ती प्रक्रियाओं के माध्यम से चुने गए उम्मीदवारों के पास नियुक्ति का निहित अधिकार नहीं है।
हम HC के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे- सुप्रीम कोर्ट
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ गोपाल कृष्ण और अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए, ‘क्षमा करें, हम उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे। उच्च न्यायालय ने सभी पहलुओं पर विचार किया था।’
शीर्ष अदालत 27 मार्च को सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए केंद्र की योजना को सही ठहराने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के प्रशंसनीय उद्देश्य के साथ राष्ट्रीय हित में तैयार की गई थी।
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14 जून 2022 को पेश हुई थी अग्निवीर स्कीम
अग्निपथ स्कीम को 14 जून, 2022 को पेश किया गया था। इस स्कीम के तहत आर्म्ड फोर्सेज में युवाओं का भर्ती किए जाने के नए नियम बताए गए थे। इन नियमों के मुताबिक, साढे 17 साल से लेकर 21 साल तक की उम्र के युवा ही इसमें अप्लाय कर पाएंगे और उन्हें चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा। सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया था।