Sisodia vs CBI: अधिकारी पर मुझे फंसाने का था दबाव, आत्महत्या करने को किया मजबूर; सीबीआई ने आरोप किए खारिज

दिल्ली में आबाकीर नीति को लेकर मचे घमासान के बीच मनीष सिसोदिया ने सीबीआई के एक अधिकारी को लेकर बड़ा दावा किया है। सिसोदिया ने कहा कि पिछले दिनों जिस सीबीआई अधिकारी ने आत्महत्या की थी, उन पर पर मुझे गतल तरीके से गिरफ्तार करने की कानूनी मंजूरी देने का दबाव बनाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई अधिकारी मानसिक दबाव नहीं झेल सके और आत्महत्या कर ली।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई के एक अधिकारी पर मुझे झूठे आबकारी मामले में फंसाने के लिए दबाव डाला गया। वह मानसिक दबाव नहीं सह सका और दो दिन पहले आत्महत्या कर ली। यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है, मैं बहुत आहत हूं।

उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि अधिकारियों पर इतना दबाव क्यों डाला जा रहा है। उन्हें इतना बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है। आप चाहें तो मुझे गिरफ्तार कर लें, लेकिन अपने अधिकारियों के परिवारों को ना उजाड़ें।

सिसोदिया के दावों को सीबीआई ने किया खारिज

मनीष सिसोदिया के दावों को खारिज करते हुए सीबीआई ने कहा कि हम उनके द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हैं। मृत सीबीआई अधिकारी जितेंद्र कुमार का दिल्ली आबकारी नीति मामले से कोई लेना देना था ही नहीं। उनके द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। उनके खिलाफ जांच अभी जारी है। फिलहाल हमारी तरफ से उन्हें क्लीन चिट नहीं दी गई। इस तरह की बयानबाजी से वो आबकारी नीति के मुद्दे को भटकाना चाहते हैं।

दिल्ली सरकार के स्कूलों में किए गए विकास कार्यों पर गर्व

दिल्ली के शिक्षा विभाग में भाजपा के भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को कहा कि उन्हें दिल्ली के स्कूलों में किए गए विकास कार्यों पर गर्व है। शिक्षक दिवस पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वह शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी की दिशा में काम करना जारी रखेंगे, भले ही इसका मतलब फांसी या जेल जाना ही क्यों न हो।

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सिसोदिया ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि आपने शिकायत की है कि हमने और कमरे बनाए, हमें गर्व है कि हमें और कमरे मिले। आपने शिकायत की है कि हमने अधिक शौचालय क्यों बनाए, हमें गर्व है कि हमने अधिक शौचालय बनाए। आप पूछते हैं कि इतनी सुविधाएं क्यों दी जा रही हैं, इन बच्चों को उनकी शिक्षा के लिए, हमें गर्व है कि हमने उन्हें ये सुविधाएं दीं। अगर आप हमें इसके लिए फांसी देना चाहते हैं, तो हमें फांसी दें। अगर आप हमें जेल में डालना चाहते हैं, तो हमें कैद करें। आपने सीबीआई को मेरे घर भेजा, उन्हें फिर से भेज दो, मुझे डर नहीं है।