शिवसेना ने केंद्र के सिर पर फोड़ा ताउते तूफान का ठीकरा, कर दी बड़ी सजा की मांग

चक्रवाती तूफान ताउते के दौरान अरब सागर में डूब गए बार्ज में उस वक्त मौजूद 49 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। लापता अन्य 37 लोगों की नौसेना और तटरक्षक तलाश कर रहे हैं। शिवसेना ने अपना संपादकीय सामना में आज इसी मुद्दे पर लेख लिखा है और पेट्रोलियम मंत्री पर सवाल उठाए हैं। शिवसेना ने कहा है कि ‘पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहां हैं? क्या वह जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले हैं? या नैतिकता के मुद्दे आपके राजनीतिक विरोधियों के लिए व तैरती लाशों पर बैठकर घी ही खाओगे?’

शिवसेना ने सामना में लिखा, “देश के पेट्रोलियम मंत्री, ओएनजीसी के अध्यक्ष और उनके संचालक मंडल की इस दुर्घटना में कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? इतने बड़े तूफान से होने वाले नुकसान का पूर्वानुमान होने के बावजूद उन्होंने एहतियातन क्या उपाय किए, इसकी जांच होना आवश्यक है। जिस तैरते हुए प्लेटफॉर्म पर खौलते हुए समुद्र में ये कर्मचारी थे। वह ‘बार्ज’ दुरुस्त नहीं था। संकट के समय जान बचाने के लिए कोई भी सुविधा वहां नहीं थी। किसी तरह की आपातकालीन व्यवस्था नहीं थी। इसलिए ये कर्मचारी तूफान आने से पहले ही मौत के जबड़े में काम कर रहे थे। अभी तक वे नसीब से बचे थे, लेकिन दो दिन पहले तूफान ने प्रहार किया तब नसीब ने साथ नहीं दिया। इसलिए उनमें से 75 लोग मौत के जबड़े में हमेशा के लिए समा गए।”

“सदोष मनुष्य का वध हुआ”

शिवसेना ने आगे कहा, ‘उत्तर प्रदेश, बिहार की गंगा से मुंबई के समुद्र तक तैरने वाले सैकड़ों शवों की आंतरिक मौत झकझोरने वाली है। गंगा में शवों को समाधि दी तो मुंबई के समुद्र में जिंदा इंसानों को डूबने दिया। यह प्रकृति का प्रकोप न होकर सदोष मनुष्य वध ही है। सदोष मनुष्य वध की जिम्मेदारी तूफान पर नहीं डाली जा सकती है। तूफान का पूर्वानुमान होने के बावजूद जो सोए रहे, वही अपराधी हैं। उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए।’

ओएनजीसी पर मनुष्य वध का गुनाह दाखिल करने की मांग

शिवसेना ने लापरवाही बरतने के लिए ओएनजीसी के खिलाफ सदोष मनुष्य वध का गुनाह दाखिल करने की मांग की है। शिवसेना ने कहा, “तूफान की पूरी चेतावनी मौसम वैज्ञानिकों ने उपग्रहों ने दी ही थी। फिर भी ओएनजीसी ने अनदेखी की व मुंबई हाई के समुद्र में तेल की खुदाई का कार्य करने वाले बार्ज पर काम कर रहे 700 मजदूरों को वापस नहीं बुलाया। बार्ज डूब गया और 75 मजदूरों की मौत हो गई। 49 शव मिल गए हैं और 26 लोग लापता हैं। हिंदुस्तानी नौसेना, कोस्ट गार्ड के वीरों ने बचाव कार्य नहीं किया होता तो बार्ज पर मौजूद 700 लोग हमेशा के लिए पानी में डूब गए होते। ये तमाम लोग एक निजी कंपनी के कर्मचारी होंगे भी, लेकिन वे ओएनजीसी के लिए तेल उत्खनन कर रहे थे इसलिए उनकी रक्षा की जिम्मेदारी ओएनजीसी प्रशासन की ही थी।”

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बार्ज के कैप्टन का पता नहीं

आपको बता दें, बार्ज पी-305 मामले में मुंबई के येलो गेट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज किया गया है। बार्ज के इंजीनियर मुस्तफिजूर रहमान शेख की शिकायत पर बार्ज के कप्तान राकेश बल्लव और अन्य पर धारा 30(2), 338 के तहत एफआईआर दर्ज की गई। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद भी राकेश बल्लव ने बार्ज कर्मचारियों की जान खतरे में डाली। राकेश की तलाश जारी है।