गोरखनाथ मंदिर हमले का आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी यूपी एटीएस की गिरफ्त में है. इस मामले में फिलहाल मुर्तज़ा अब्बासी से पूछताछ की जा रही है. पूछताछ के आधार पर ATS ने गोरखपुर से पांच संदिग्धों को हिरासत में लिया है. ये सभी लोग कट्टरपंथी थे और इन्हें मुर्तज़ा की हर गतिविधि की जानकारी थी.

मुर्तज़ा ने एटीएस को पूछताछ में बताया कि वह चाहता था कि देश में शरिया कानून लागू हो जाये. वहीं उसने गोरखनाथ मंदिर पर धारदार हथियार से हमला करने की वजह क्रूरता दिखाना बताया. उसने कहा कि उसकी मंशा यह भी थी कि गोरखनाथ मंदिर पर हमला कर हाइप क्रिएट किया जाए ताकि लोगों के अंदर डर बैठ सके.
वहीं मुर्तजा अब्बासी ने बताया कि केमिकल इंजीनियर होने के नाते उसे आसानी से बम बनाने की तमाम विधियां पता थी लेकिन हमले के दौरान उसने बम की जगह धारदार हथियार का इस्तेमाल किया. दरअसल विदेश में बैठे आकाओं ने ही बम के बजाए बांके या चापड़ से हमला करने के निर्देश दिए थे.
मुर्तज़ा ने अपने लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन से कई अहम जानकारी डिलीट करने की बात भी क़ुबूल की. फिलहाल उसपर UAPA लगाने की तैयारी पूरी है, इस बाबत एटीएस ने लिखापढ़ी भी शुरू कर दी है. UAPA लगने के बाद यह माला NIA को हैंडओवर हो जाएगा.
वहीं इस मामले में एटीएस को मिली मुर्तजा के एप्पल मैकबुक लैपटॉप और मोबाइल की मिरर इमेज. इनकी पड़ताल में पता चला है कि मुर्तजा संदिग्ध लोगों से बातचीत करने में VOIP कॉल या फेसटाइम का इस्तेमाल करता था. इसके अलावा उसके अकाउंट में सीरिया में जिस एकाउंट में पैसा गया उसे ट्रेस करने में रही ATS को दिक्कत हो रही है. लैपटॉप पर मिली जानकारी से पता चला कि मुर्तजा के छह फेसबुक अकाउंट में से एक अकाउंट से अरबी भाषा में भी चैट की जा रही थी. फिलहाल अरबी भाषा में किए गए चैट को समझने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है.
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क्या है मामला
रविवार (3 अप्रैल) देर रात 30 साल के आईआईटी स्नातक अहमद मुर्तजा अब्बासी ने गोरखनाथ मंदिर परिसर में प्रवेश करने की कोशिश की और जब सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोकने की कोशिश की, तो जवानों पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिससे पीएसी के दो जवान घायल हो गए. हालांकि अन्य सुरक्षाकर्मियों ने उसे फौरन पकड़ लिया और हमले में इस्तेमाल किया गया धारदार हथियार जब्त कर लिया था. गोरखनाथ मंदिर परिसर में मंदिर के मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आवास भी है. हालांकि हमले के वक्त वह मंदिर परिसर में मौजूद नहीं थे.
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