नहीं रहें अमेरिकी नेता पोप फ्रांसिस…लंबी बीमारी के बाद हुआ निधन

रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी नेता पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह जानकारी सोमवार को वेटिकन ने एक वीडियो बयान के माध्यम से दी। वह 88 वर्ष के थे और अपने 12 साल के पोपीय कार्यकाल में उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ा था। मिली जानकारी के अनुसार, पोप फ्रांसिस को निमोनिया के पांच सप्ताह के उपचार के बाद 23 मार्च को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

वेटिकन द्वारा अपने टेलीग्राम चैनल पर प्रकाशित बयान में कार्डिनल केविन फैरेल ने कहा कि आज सुबह 7:35 बजे (0535 GMT) रोम के बिशप फ्रांसिस फादर के घर लौट आए। फैरल ने आगे कि उन्होंने हमें सुसमाचार (गॉस्पेल) के मूल्यों को निष्ठा, साहस और प्रेम के साथ जीना सिखाया। विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों के लिए. प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य के रूप में हम पोप फ्रांसिस की आत्मा को ईश्वर को सौंपते हैं।

बीते रविवार को पोप फ्रांसिस ने दिया था अपना अंतिम संबोधन

रविवार को पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के अपने संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता का आह्वान किया। बेसिलिका की बालकनी से उपस्थित लोगों (अनुमानतः 35,000 से अधिक लोग ) को ईस्टर की शुभकामनाएं देने के बाद, फ्रांसिस ने अपना पारंपरिक आशीर्वाद को पढ़ने का काम एक सहयोगी को सौंप दिया।

उनके भाषण में कहा गया कि धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों के प्रति सम्मान के बिना शांति नहीं हो सकती है। उन्होंने चिंताजनक यहूदी-विरोध और गाजा में नाटकीय और निंदनीय स्थिति की भी निंदा की।

फ्रांसिस, जो मूल रूप से अर्जेंटीना के निवासी थे और अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे, एक शताब्दी से भी अधिक समय में वे पहले पोप थे जो वेटिकन के अपोस्टोलिक पैलेस के बाहर रहते थे, जो सेंट पीटर्स स्क्वायर के बगल में स्थित एक अलंकृत इतालवी पुनर्जागरण भवन था।