PIA पर लगाये गये बैन को चुनौती देगा पाक, यूरोपीय और ब्रिटिश सांसदों से मांगी मदद

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) यूरोपीय यूनियन द्वारा लगाए गए छह महीने के प्रतिबंध के खिलाफ अगले हफ्ते अपील दायर करने जा रही है। इसके लिए एयरलाइन ने पाकिस्तानी मूल के यूरोपीय और ब्रिटेन के सांसदों की सहायता भी मांगी है। पीआईए पर लगे प्रतिबंध से सरकारी खजाने को 33 अरब रुपये (पाकिस्तानी रुपये) के नुसकान की संभावना है। दूसरी तरफ पाकिस्तानी राजनयिक फैसले को पलटने की कोशिशों में लगे हुए हैं।

यूरोपीय यूनियन एयर सेफ्टी एजेंसी (ईएएसए) ने यह फैसला 262 पाकिस्तानी पायलटों के ग्राउंडिंग के बाद लिया गया जिनके लाइसेंस को लेकर देश के विमानन मंत्री गुलाम सरवर खान ने संदिग्ध करार दिया था। गुलाम सरवर खान ने कहा था कि एक तिहाई पीआइए पायलटों के पास फर्जी लाइसेंस हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पायलटों की लापरवाही के चलते हाल की कम से कम तीन हवाई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 22 मई को हुआ हादसा भी शामिल है।

ईएएसए के कदम के बाद यूके सिविल एविएशन अथॉरिटी ने अपने तीन हवाई अड्डों- बर्मिंघम, लंदन हीथ्रो और मैनचेस्टर से पीआईए को उड़ान संचालित करने की अनुमति वापस ले ली। पीआईए प्रति सप्ताह यूके के लिए 23 उड़ानें संचालित कर रहा था, जिसमें से नौ लंदन, 10 मैनचेस्टर और चार बर्मिंघम के लिए थी।

बता दें कि पाकिस्तानी एयरलाइन को पहले ही 12 अरब पाकिस्तानी रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि वह इस साल हज उड़ानों का संचालन नहीं करेगी। उमराह यात्रियों के लिए उड़ानों के निलंबन ने भी इसके राजस्व को प्रभावित किया है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में विदेशी मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि के साथ बातचीत की और प्रतिबंध हटाने की मांग की। उन्होंने ईयू अधिकारी को आश्वासन दिया कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का उद्देश्य पीआईए संचालन में उड़ान सुरक्षा के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करना है।

इस बीच पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसदों ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर को एक पत्र लिखा है जिसमें न्यूयॉर्क में पीआईए के स्वामित्व वाले रूजवेल्ट होटल के असंवैधानिक तरीके से निजीकरण के लिए कैबिनेट समिति के गठन की मांग की है। शनिवार को छह पीएमएल-एन सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि होटल का निजीकरण संविधान के खिलाफ था, वित्तीय रूप से अनुपयुक्त और सार्वजनिक धन की बर्बादी है।