दीपिका की भगवा बोल्‍ड ड्रेस पर भड़के पंडित प्रदीप मिश्रा, बोले- ऐसी फिल्में तो देखना ही नहीं चाहिए

शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की आगामी फिल्‍म ‘पठान’ को लेकर देश-प्रदेश में गहराते विवाद के बीच पंडित प्रदीप मिश्रा की भी इस पर प्रतिक्रिया सामने आई है। बैतूल में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि आप उस फिल्म को बना रहे हो, भारत में दिखाने के लिए तो मेरे भारत भूमि की बेटियां ऐसा परिधान नही पहनती हैं जो तुम दिखाने का प्रयास कर रहे हो। हम यह दिखाकर उनके परिधान को बदलना चाहते हैं। उस भगवा रंग को दिखाकर यह दिखाना चाहते हैं कि आप इससे दूर रहें या इससे बचने का प्रयास करें। तो ऐसी फिल्मों को तो देखना ही नही चाहिए। जब तुम कश्मीर देखने नहीं गए, तो हम क्यों पठान देखने जाएंगे।

उन्होंने कहा कि भगवा रंग ही क्यों पहनाया। विरोध का मूल कारण बस इतना सा है कि उन्होंने अगर कपड़े ही पहनाना था तो नीले पहना देते, कोई हरा पहना देता, कोई काला पहना देता। जरूरी था क्या कि भगवा रंग के ही पहनाना था। विरोध का कारण उन्होंने खुद उत्पन्न किया। कोई को फुरसत नहीं है, किसी को पागल कुत्ता नही काटा है कि वो जानकर चिल्लाएगा। मूलतः यह है कि आप स्वयं सनातन धर्म के व्यक्ति या भगवा रंग को ऐसा जनमानस में लाना चाहते हो कि ये एक ऐसा रंग है, उसमे उनने कहा कि मैं ये कपड़ा पहन रखा हूं यह ठीक नहीं है। तुम खुद कह रहे हो यह कपड़ा मेरे लिए ठीक नहीं है तो फिर क्यों पहना। हम तो इतना कहना चाहेंगे कि आप परिधान के साथ में जो बेटियों का चरित्र दिखा रहे हो, आधा स्वरूप उनका दिखा रहे हो, वस्त्र कम दिखा रहे हो। ये क्या दिखाना चाहते हो, आप क्या प्रस्तुत करना चाहते हो। क्या हमारे यहां की बहन-बेटियां ऐसी हैं।

आरएसएस या बजरंग दल कभी चुनाव नही लड़ता

हर घर से एक बेटे को आरएसएस या बजरंग दल में भेजने की बात पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इन दोनों को कभी चुनाव लड़ते देखा है? ये किस पार्टी के हैं, किसको मालूम है। इनसे जुड़ा कोई व्यक्ति कभी चुनाव में खड़ा नही हुआ। क्योंकि जब–जब सनातन धर्म पर आंच आती है, कहीं बाढ़ आती है तो उस समय पर यह नहीं देखा जाता है कि ये कौन सी पार्टी का है। उस समय पर यह देखा जाता है यह हिंदू है, सनातनी है या इस संसार में जन्म लेने वाला मनुष्य है। पंडित प्रदीप मिश्रा मैं स्वयं किसी पार्टी का नही हूं। सनातनी हूं, हिंदू धर्म में पैदा हुआ हूं। इसीलिए जब भी बात करूंगा सनातन धर्म की करूंगा ना किसी पार्टी से। यह व्यास पीठ किसी पार्टी की नही है। राजनेता अपना स्थान छोड़ सकते हैं। आरएसएस और बजरंग दल वो संघ हैं जो हमारे दुख के समय अपना जी जान लगाकर सेवा करते हैं। उस समय कोई पार्टी वाला, कोई राजनेता सामने आकर खड़ा नही होता है। उस समय पर इनकी जरूरत पड़ती है। इसीलिए मैंने किसी पार्टी के लिए नही कहा। अब दूसरों को काली मिर्ची लगती है तो महाराज क्या करे।

धर्माचार्यों को राजनीति में प्रवेश नही करना चाहिए

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मेरा तो निवेदन है कि धर्माचार्यों को राजनीति के अंदर प्रवेश नही करना चाहिए। एक धर्माचार्य की वाणी ही इतनी प्रबल होती है कि अपने आप जन मानस को अपनी ओर खींचकर ले आती है। जब आपकी बात का इतना बल है तो आपको राजनीति में जाने की क्या आवश्यकता।

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भारत को जोड़ने का क्रम भी आनंद का

भारत एक सूत्र में बंधा हुआ है, फिर भी कहीं ऐसा लगता है कि हमारे भारतीय कहीं टूट रहे हैं तो उसको जोड़ने की जरूरत इस कारण है कि माला का एक भी फूल अगर टूट जाता है तो माला सुंदर नजर नही आती है। हमारा भाई हमसे बिछड़ रहा है तो हमको उसमे सुंदरता नजर नही आती है। इसलिए भारत को जोड़ने का क्रम एक आनंद का है।

मतांतरण को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में पंडित मिश्रा ने कहा कि यदि सरकार नही रोक रही है तो सनातनी प्रयास कर रहे हैं। महिलाओं के वस्त्रों को लेकर स्वामी रामदेव द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर पंडित मिश्रा ने कहा कि मेरे भारत की नारी की सुंदरता उसके श्रंगार में है। यह बात किस परिप्रेक्ष्य में कही गई मुझे ज्ञात नही है।