सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू, विदेश मंत्री जयशंकर ने कही यह बात

सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच पिछले कई दिनों से जारी संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है। दो बलों की हिंसक झड़प में अब तक 400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस बीच भारत समेत कई देशों ने हिंसाग्रस्त देश से अपने नागरिकों को निकालना शुरू कर दिया है। भारत सूडान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन कावेरी चला रहा है।

इस बीच जानकारी मिली है कि फ्रांसीसी वायु सेना की उड़ान के जरिए पांच भारतीय नागरिकों को सूडान से बाहर निकाला गया है। फ्रांस के राजनयिक सूत्र ने इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि तीन उड़ानों के जरिए करीबन 500 लोगों को जिबूती में फ्रांस के सैन्य अड्डे पर लाया गया है। इन लोगों में भारतीय के साथ ही 28 से अधिक अन्य राष्ट्रीयताओं के लोग शामिल हैं।

विदेश मंत्री ने दी जानकारी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी सूडान से भारतीयों की निकासी के लिए चलाए जा रहे अभियान के बारे में ट्वीट किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया कि सूडान में फंसे हमारे नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी चल रहा है। लगभग 500 भारतीय पोर्ट सूडान पहुंच गए हैं जबकि अन्य रास्ते में हैं। हमारे जहाज और विमान उन्हें वापस घर लाने के लिए तैयार हैं। हम सूडान में अपने सभी भाइयों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 सूडान में अभी कितने भारतीय फंसे हैं?

देश में हिंसा, तनाव और असुरक्षित हवाईअड्डों के कारण विदेशी नागरिकों को निकालना मुश्किल हो रहा है। इस बीच अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) राजधानी खार्तूम में मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है। फंसे हुए विदेशी नागरिकों में लगभग 3,000 भारतीय हैं। वहीं, केरल के 48 वर्षीय अल्बर्ट ऑगस्टाइन की गोली लगने से मौत हो चुकी है।

भारतीयों की निकासी के लिए सरकार उठा रही ये कदम

वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षा को लेकर भारत पूरे मामले पर करीबी नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि सूडान में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं। मंत्रालय, सूडान में भारतीय दूतावास संयुक्त राष्ट्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और अमेरिका के संपर्क में है। इसने जानकारी दी कि वायुसेना के दो C-130J विमानों को जेद्दा में तैयार रहने को कहा गया है, जबकि INS सुमेधा पोर्ट सूडान पहुंच गया है।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार सूडान में फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर प्रयास कर रही है। हम सूडान में जटिल और उभरती सुरक्षा स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं। सूडान से बाहर निकलना चाह रहे भारतीयों की सुरक्षित निकासी के लिए भारत विभिन्न साझेदारों के साथ करीब से बातचीत कर रहा है। सूडानी हवाई क्षेत्र वर्तमान में सभी विदेशी विमानों के लिए बंद है। ओवरलैंड आंदोलन में जोखिम और तार्किक चुनौतियां बनी हुई हैं।

बता दें कि शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह युद्ध प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और सूडान के मौजूदा हालात के बारे में पीएम को अवगत कराया था।

राष्ट्रों ने शुरू किया निकासी अभियान 

पूरे सूडान में इंटरनेट बैन होने की जानकारी भी सामने आई है। रविवार को ब्रिटेन के सशस्त्र बलों ने देश से ब्रिटिश राजनयिकों और उनके परिवारों को निकाला। सफल ऑपरेशन की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि दोनों पक्ष अपने हथियार डाल दें और तत्काल मानवीय युद्धविराम लागू करें।

इससे पहले रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने अमेरिकी सैनिकों के साथ मिलकर वाशिंगटन के दूतावास को खाली कराया। शनिवार को भी सूडानी सेना ने चीन और फ्रांस के राजनयिकों को देश से बाहर सैन्य हवाई जहाज से निकालने में मदद की। इसी दिन सऊदी विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत, कुवैत, पाकिस्तान, कतर, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, ट्यूनीशिया, बांग्लादेश, बुल्गारिया, कनाडा, फिलीपींस और बुर्किना फासो के नागरिकों के साथ-साथ अपने 91 नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

सूडान में जारी हिंसा की ये है वजह

हालिया हिंसक घटनाओं की जड़ें तीन साल पहले हुआ तख्तापलट से जुड़ी हैं। दरअसल, अप्रैल 2019 में एक विद्रोह के बीच सैन्य जनरलों द्वारा लंबे समय से शासन कर रहे निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। तब से सेना एक संप्रभु परिषद के माध्यम से देश चला रही है। सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है। ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्द्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।