बराक ओबामा के मुसलमानों वाले बयान पर निर्मला सीतारमण का पलटवार, बोलीं- जिन्होंने 6 मुस्लिम देशों पर बम बरसाए वो..

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत में जातीय अल्पसंख्यकों की स्थिति पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी पर रविवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। ओबामा ने अपनी टिप्पणी तब की जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका की 3 दिवसीय यात्रा पर थे। पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि बराक ओबामा के कारण 6 मुस्लिम बहुल देशों पर बमबारी हुई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी को 13 देशों ने अपने शीर्ष सम्मान से सम्मानित किया है जिनमें से छह मुस्लिम बहुल देश हैं।

निर्मला सीतारमण ने क्या कहा

ओबामा के बयान पर पलटवार करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी …सभी के सामने भारत के बारे में बात कर रहे थे, तब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुस्लिमों को लेकर बयान दे रहे थे। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या उनके कार्यकाल (राष्ट्रपति रहते) में छह देशों, सीरिया, यमन, सऊदी, इराक और अन्य मुस्लिम देशों में बमबारी नहीं हुई? उन्होंने कहा कि हम अमेरिका के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन वहां से यूएससीआईआरएफकी भारत में धार्मिक सहिष्णुता को लेकर टिप्पणी आई और पूर्व राष्ट्रपति कुछ और कह रहे हैं। मंत्री ने कहा कि यह देखना अहम है कि इसके पीछे कौन लोग हैं।

आधारहीन आरोप

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों की ओर से अल्पसंख्यकों के प्रति व्यवहार को लेकर ‘आधारहीन’ आरोप लगाने के लिए ‘संगठित अभियान’ चलाया जा रहा है क्योंकि वे मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चुनावी मैदान में नहीं हरा सकते। उल्लेखनीय है कि सीएनएन को बृहस्पतिवार को दिए साक्षात्कार में ओबामा ने कथित तौर पर कहा था कि अगर भारत ‘जातीय अल्पसंख्यकों’ के अधिकारों की रक्षा नहीं करता तो इस बात की प्रबल आशंका है कि एक समय आएगा जब देश बिखरने लगेगा।

यह भी पढ़ें: विदेश से लौटते ही पीएम मोदी ने पूछा- ‘देश में क्या चल रहा है?’, जेपी नड्डा ने दिया ये जवाब

ओबामा ने क्या कहा था

ओबामा ने बृहस्पतिवार को ‘सीएनएन’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, “यदि (अमेरिकी) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी से मिलते हैं, तो हिंदू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का उल्लेख करना उचित है। अगर मेरी प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत हुई, जिन्हें मैं अच्छी तरह से जानता हूं, तो मेरे तर्क का एक हिस्सा यह होगा कि यदि आप भारत में जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा नहीं करते हैं, तो इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत किसी बिंदु पर अलग-थलग होने लगेगा।