न्यूजीलैंड सरकार ने भारत से आने वाले यात्रियों पर ट्रैवल बैन लगाया है। सरकार ने इसके पीछे की वजह कोरोनावायरस को बताया है। लेकिन अब न्यूजीलैंड की सरकार खुद अपने देश में ही इस फैसले को लेकर घिर गई है। कम्युनिटी नेताओं का कहना है कि सरकार के इस फैसले से नस्लभेद को बढ़ावा मिलेगा। इन नागरिकों का कहना है कि इन्हें डर है कि सरकार के इस निर्णय के चलते देश में रहने वाले भारतीय नागरिकों को नस्लवाद और अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
वेटाकेरे इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील कौशल ने कहा कि यहां सवाल उठ रहा है कि आखिर भारत की क्यों? लोग इस सवाल को पूछ रहे हैं और इसका उत्तर दिया जाना चाहिए। कौशल ने पूछा कि ये नियम सिर्फ भारत पर ही क्यों लागू होता है, जबकि अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस और ब्रिटेन में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि हम खुद को इस देश का हिस्सा नहीं मान पा रहे हैं, जब हम ये देखते हैं कि भारतीयों के साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है।
भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से लिया ट्रैवल बैन का फैसला: पीएम अर्डर्न
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने गुरुवार को ऐलान किया कि न्यूजीलैंड भारत से आने वाले सभी यात्रियों के देश में आने में प्रतिबंध लगा रहा है। इसमें न्यूजीलैंड के नागरिक भी शामिल हैं। ये प्रतिबंध 11 अप्रैल से दो सप्ताह तक लागू होगा। अर्डर्न ने बताया कि सरकार ने ये निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि भारत में कोरोना के सबसे अधिक मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। न्यूजीलैंड के बॉर्डर फैसिलिटी पर कोरोना के 23 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जिसमें से 17 भारतीय हैं।
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भारतीय मूल के लोगों को झेलना पड़ सकता है नस्लवाद
इंडियन वर्कर्स एसोशिएशन के मनदीप बेला ने कहा कि वास्तव में, ये बेहद ही हैरान करने वाला है। जबसे कोरोना महामारी सामने आई है, हमें कहा गया कि न्यूजीलैंड अपने नागरिकों के लिए देश के दरवाजें बंद नहीं कर सकता है। फिर वो दुनिया के किसी भी हिस्से में हो और कितने भी केस बढ़ रहे हैं। उन्होने कहा कि सरकार के इस कदम की वजह से भारत में न्यूजीलैंड के नागरिक बिना किसी देश के हो गए हैं। बेला ने यह भी चिंता जताई कि इस कदम की वजह से भारतीय मूल के न्यूजीलैंड के लोगों को नस्लभेद का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कई लोगों को डर है कि अब उन्हें निशाना बनाया जाएगा।