प्रकृति भी झूम कर मनाती है बसंत का ये त्यौहार, जानिए पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल

माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। 16 फरवरी को सुबह 03:36 पर पंचमी तिथि लगेगी, जो कि 17 फरवरी को सुबह 5:46 पर समाप्त होगी। पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। बसंत पंचमी पर शुभ योग, चन्द्रमा मीन राशि व रेवती नक्षत्र में होगा। मकर राशि में 4 ग्रह-गुरु, शनि, शुक्र तथा बुध एक साथ होंगे तथा मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवियोग एक साथ हैं सरस्वती पूजा मुहूर्त सुबह 6:42 से दिन 12:21 तक श्रेष्ठ है ये पर्व ऋतुराज बसंत के आने की सूचना देता है।

बसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य मन को मोहित करता है अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य अतिशुभ हैं। बसंत पंचमी भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में बड़े उल्लास से मनाई जाती है।

मां सरस्वती को शारदा, वीणावादनी, वाग्देवी, भगवती, वागीश्वरी आदि नामों से जाना जाता है। इनका वाहन हंस है। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं, मां सरस्वती विद्या, गीत-संगीत, ज्ञान एवं कला की अधिश्ठात्री देवी है। इनको प्रसन्न करके इनके आर्शीवाद से विद्या, ज्ञान, कला प्राप्त किया जा सकता है। बसंत पंचमी पर श्वेत वस्त्रावृत्ता मां सरस्वती की प्रातः स्नान कर इनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इनके पूजन में दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, गेहूं की बाली, पीले सफेद रंग की मिठाई और पीले सफेद पुष्पों को अर्पण कर सरस्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और पीले रंग की खाद्य सामग्री के अधिकाधिक सेवन की भी परम्परा है। बसंत पंचमी के दिन किसान लोग नये अन्न में गुड़-धृत मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ- तर्पण करते है। 

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भगवान श्री कृष्ण इस बसन्त उत्सव के अधिदेवता है। ब्रज में इस दिन से बड़ी धूम-धाम से राधा-कृष्ण की लीलायें मनाई जाती है। बसंत पंचमी पर कामदेव और रति का पूजन भी किया जाता है। इस दिन से फाग उड़ाना (गुलाल) प्रारम्भ करते है और चौराहों पर अरड़ की डाल होलिका दहन के स्थानों पर लगाई जाती है।