‘कांग्रेस में मेरी स्थिति उस नये नवेले दूल्हे जैसी जिसकी नसबंदी करा दी गई है’, पार्टी से नाराज हार्दिक पटेल का फूटा गुस्सा

पाटीदार नेता और गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने उनसे सलाह न लेने और राज्य में पार्टी मामलों पर निर्णय लेने में देरी के लिए अपनी ही कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, हार्दिक पटेल, जिन्हें राज्य में हुए दंगों के मामले में दोषी ठहराया गया था, लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें छोड़ दिया था, ने बड़े फैसले लेने से पहले उन्हें पार्टी की बैठकों में आमंत्रित नहीं करने या उनसे परामर्श नहीं करने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की। उन्होंने पूछा कि अगर उनसे सलाह नहीं ली जा रही है तो उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का क्या मतलब है? पाटीदार नेता ने कहा कि उन्हें पार्टी में नजरअंदाज किया जा रहा है, उनकी स्थिति एक नवविवाहित दूल्हे की है, जिसे ‘नसबंदी’ कराने के लिए मजबूर किया गया है।

कांग्रेस में मेरी स्थिति नवविवाहित दूल्हे की है, जिसकी नसबंदी करवा दी गयी: हार्दिक पटेल

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पार्ट के अंदर अपनी स्ठिति को लेकर अफसोस जताया और कहा कि “पार्टी में मेरी स्थिति एक नवविवाहित दूल्हे की है, जिसे नसबंदी से गुजरना पड़ा है।”  गौरतलब है कि जबरन नसबंदी से कांग्रेस पार्टी का गहरा नाता है। 1975 के आपातकाल के दौरान, कांग्रेस पार्टी के पूर्व नेता संजय गांधी ने ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब पुरुषों को आबादी को सीमित करने के लिए ‘नसबंदी’ कराने के लिए मजबूर किया था।

नरेश पटेल को पार्टी में न शामिल करने से भी नाराज हार्दिक

हार्दिक पटेल ने खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष और शक्तिशाली पाटीदार नेता नरेश पटेल को पार्टी में शामिल करने में कांग्रेस पार्टी की देरी पर भी सवाल उठाया, जिसे अब राज्य में सभी दलों द्वारा लुभाया जा रहा है। हार्दिक पटेल ने कहा कि देरी और कुछ नहीं बल्कि पूरे पाटीदार समुदाय का अपमान है। मैं टीवी पर देख रहा हूं कि कांग्रेस 2022 के चुनावों के लिए नरेश पटेल को शामिल करना चाहती है। मुझे उम्मीद है कि वे 2027 के चुनावों के लिए नए पटेल की तलाश नहीं करेंगे। पार्टी उन लोगों का उपयोग क्यों नहीं करती है जो उसके पास पहले से हैं?

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कांग्रेस की गुजरात इकाई की कार्यशैली पर नाखुशी जाहिर करते हुए पार्टी नेता हार्दिक पटेल ने दावा किया कि उन्हें राज्य इकाई में दरकिनार किया गया और नेतृत्व उनकी क्षमताओं का उपयोग करने का इच्छुक नहीं है। उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2015 के दंगा और आगजनी मामले में हार्दिक की सजा पर रोक लगाने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का संकेत दिया था, जिसके बाद कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक ने अपनी नाखुशी जतायी है।

गुजरात में हिंसा कराने का लगा था हार्दिक पटेल पर आरोप

हार्दिक ने 2015 में गुजरात में पाटीदार समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आरक्षण प्रदान करने की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन की अगुवाई की थी। हार्दिक पटेल ने बुधवार को संवाददातओं से बातचीत के दौरान मशहूर पाटीदार नेता नरेश पटेल को कांग्रेस में शामिल करने में विलंब को लेकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, नरेश पटेल को कांग्रेस में शामिल करने को लेकर पार्टी में जिस तरह की बातें हो रही हैं वो पूरे समुदाय का अपमान है। अब दो महीने से अधिक समय बीत चुका है। अब तक कोई फैसला क्यों नहीं लिया जा रहा? कांग्रेस आलाकमान या स्थानीय नेतृत्व को नरेश पटेल को पार्टी में शामिल करने के संबंध में जल्द निर्णय लेना चाहिए।

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हार्दिक ने दावा किया कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन ने 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को अच्छी संख्या में सीट जीतने में मदद दी। उन्होंने कहा कि आंदोलन के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 182 सीटों में से 77 सीटों पर जीत मिली। हार्दिक पटेल ने दावा किया, लेकिन, इसके बाद क्या हुआ? कांग्रेस में भी कई लोग यह महसूस करते हैं कि 2017 के बाद पार्टी द्वारा हार्दिक का उचित उपयोग नहीं किया गया।ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि पार्टी में कुछ लोग सोचते होंगे कि आज अगर मुझे महत्व दिया गया तो मैं पांच या 10 साल बाद उनके रास्ते में आ जाऊंगा।