गिलानी के निधन के बाद महबूबा ने खोली मोदी सरकार के दावों की पोल, किया बड़ा दावा

अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार के दावों को धता बताते हुए बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, महबूबा मुफ्ती मंगलवार को शेर-ए-कश्मीर स्थिति अपने पार्टी मुख्यालय का दौरा करने वाली थी। लेकिन इस दौरे से पहले उन्होंने दावा किया है कि उन्हें घर में नजरबन्द किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के दावों को फर्जी करार दिया है।

महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर लगाया बड़ा आरोप

महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि भारत सरकार अफगानी लोगों के अधिकारों के लिए चिंता व्यक्त करती है, लेकिन जानबूझकर इन्हीं अधिकारों से कश्मीरियों को वंचित करती है। मुझे आज नजरबंद किया गया है क्योंकि प्रशासन के अनुसार कश्मीर में स्थिति सामान्य नहीं है। यह सामान्य स्थिति बताने के उनके दावों की पोल खोलता है।

महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार को अंतिम संस्कार से वंचित करना मानवता के खिलाफ है और इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को दुख हुआ है। गिलानी के शव को उनके आवास के पास एक मस्जिद परिसर में स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया था।

महबूबा ने पार्टी की बैठक के बाद कहा कि गिलानी से हमारे मतभेद थे। लड़ाई तो जिंदा इंसान से होती है लेकिन इंसान मर जाता है तो मतभेद खत्म हो जाने चाहिए। मृतक सम्मानजनक अंतिम संस्कार का हकदार होता है। उन्होंने कहा कि गिलानी के परिवार को उनका अंतिम संस्कार करने देने से मना करने की खबरों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को दुखी किया है।

महबूबा ने कहा कि परिवार को मृतक का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है। मीडिया की खबरों के माध्यम से हमने मृतक के प्रति अनादर के बारे में जो सुना और जाना, वह मानवता के खिलाफ है। मृत्यु के बाद आपको अपने प्रतिद्वंद्वी का भी सम्मान करना होता है जैसे आप किसी दूसरे का सम्मान करते हैं।

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महबूबा ने कहा कि ईदगाह कब्रिस्तान में दफनाने की गिलानी की इच्छा को मान लेना चाहिए था। महबूबा ने कहा, ”मौत की सजा पाए अभियुक्त की भी फांसी से पहले एक आखिरी इच्छा पूरी की जाती है। उन्होंने गिलानी की मृत्यु के समय उनके परिवार की महिलाओं के साथ कथित दुर्व्यवहार की निंदा की। भारत को उसकी सभ्यता और संस्कृति के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित नजरों से देखा जाता है…लेकिन जो हुआ वह देश की छवि के अनुकूल नहीं है।