गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ज्ञानवापी को लेकर दिए गए बयान ने सियासी गलियारों का माहौल खासा गर्म कर दिया है। दरअसल, आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने सीएम योगी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने योगी के बयान पर पलटवार करते हुए ज्ञानवापी को एक ऐतिहासिक मस्जिद करार दिया है।
मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसकी तारीख सैकड़ों साल पुरानी है। मुख्यमंत्री का यह कहना कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे विश्वनाथ मंदिर कहना चाहिए, उनके पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।
मौलाना रज़वी ने मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था के मामले में बेहतरीन कदम उठाए हैं, जिससे राज्य में अमन और शांति कायम है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को हर व्यक्ति का मुख्यमंत्री होना चाहिए, चाहे किसी ने उन्हें वोट दिया हो या नहीं।
आपको बता दें कि गोरखपुर में एक कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, लेकिन वास्तव में यह स्वयं ‘विश्वनाथ’ (भगवान शिव) हैं।
योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि इस स्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं को इस बात का अफसोस है कि इसकी वास्तविक पहचान या नाम को लेकर यह भ्रम न केवल इस स्थल पर पूजा और प्रार्थना करने के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए भी सबसे बड़ी बाधा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हमारे समाज ने अतीत में इस बाधा को समझा और पहचाना होता, तो हमारा देश कभी उपनिवेश नहीं बनता।
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आपको यह भी बता दें कि कई हिंदू कार्यकर्ता इस बात को चुनौती देते हैं कि विवादित ज्ञानवापी मस्जिद स्थल पर पहले एक मंदिर मौजूद था, और इसे 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था, हालांकि मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज कर दिया है।
फरवरी में, वाराणसी की एक अदालत ने हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद के सीलबंद तहखाने के अंदर पूजा करने की अनुमति दी थी। अदालत के आदेश के अनुसार, हिंदू भक्तों को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर प्रतिबंधित क्षेत्र ‘व्यास का तहखाना’ में प्रार्थना करने की अनुमति दी गई थी।