मनोज मुंतशिर कविता चुराने के आरोप में हुए ट्रोल, ट्वीट कर कहा- ‘एक साथ फुरसत से जवाब दूंगा’

हिंदी फिल्मों के गीतकार मनोज मुंतशिर एक बार फिर विवाद में घिरते दिखाई दे रहे हैं. वे बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं. उन पर ‘मुझे कॉल करना’ वाली कविता को चुराने का आरोप लगा है. 2018 में छपी मनोज की किताब ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ में यह कविता छपी थी. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया है कि उनकी कविता मौलिक नहीं है.

इन लोगों ने ट्विटर पर लिखा है कि, मनोज ने रॉबर्ट जे लेवरी की 2007 में छपी बुक Love lost: Love found की ‘काल मी’ नामक कविता का हिंदी अनुवाद कर उसे अपनी कविता के तौर छपवाया है. इससे पहले उन्होंने मुगल बादशाहों की तुलना ‘डकैतों’ से करने वाला एक वीडियो जारी किया था, जिसको लेकर वे विवादों में आ गए थे.

कॉपी करने का आरोप लगाता एक ट्वीट.

सोशल मीडिया पर जैसे ही यह खबर आई, लोग मनोज मुंतशिर को ट्रोल करने लगे. लोग मनोज के इस काम को अनैतिक बता रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स गुस्से में तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोग यह पूछने लगे कि मनोज आखिर जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं?

मनोज मुंतशिर ने 21 सितंबर की रात को किए गए एक ट्वीट में अपनी बात रखी है. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि, ‘200 पन्नों की किताब और 400 फ़िल्मी- ग़ैर फ़िल्मी गाने मिलाकर सिर्फ 4 लाइनें ढूंढ पाए? इतना आलस? और लाइनें ढूंढों, मेरी भी और बाकी राइटर्स की भी. फिर एक साथ फुरसत से जवाब दूंगा. शुभ रात्रि!’

यह कविता मनोज मुंतशिर की बुक ‘मेरी फितरत है मस्ताना’ में छपी है, जिसे वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. विवाद बढ़ने पर प्रकाशन के अदिति माहेश्वरी ने कहा है कि, ‘हम कॉपी करने के मामले में लेखक के आधिकारिक बयान की प्रतीक्षा करेंगे.’

ये है मनोज की कविता ‘मुझे कॉल करना’…

‘तुम कभी उदास हो रोने का दिल करे, मुझे कॉल करना

शायद मैं तुम्हारे आंसू न रोक पाऊं पर तुम्हारे साथ रोऊंगा ज़रूर

कभी अकेलेपन से घबरा जाओ तो मुझे कॉल करना शायद मैं तुम्हारी घबराहट न मिटा पाऊं पर अकेलापन बांटूंगा ज़रूर

कभी दुनियां बदरंग लगे तो मुझे कॉल करना

शायद मैं पूरी दुनिया में रंग न भर पाऊं पर ये दुआ ज़रूर करूंगा कि तुम्हारी जिन्दगी खूबसूरत हो

और कभी ऐसा हो कि तुम कॉल करो और मेरी तरफ से जवाब ना आए तो भाग के मेरे पास आ जाना, शायद मुझे तुम्हारी जरूरत हो.’

रॉबर्ट जे लेवरी की 2007 में छपी कविता call me…

If one day you feel like crying…

call me

I don’t promise that

I will make you laugh

But I can cry with you.

If one day you want to run away

Don’t be afraid to call me.

I don’t promise to ask you to stop,

But I can run with you.

If one day you don’t want to listen to anyone call me

i promise to be there for you but i also promise to remain quiet

But… If one day you call and there is no answer… come fast to see me..

Perhaps I need you.