लोकतंत्र में वोटर हर नेता और राजनीतिक दल के लिए बेहद अहम होते हैं। लोगों का वोट ही उन्हें सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाता है। यही वजह है कि नेता अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए हर तरह की जुगत करते रहते हैं, लेकिन जब बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हो तो वह इस मामले में कई कदम आगे दिखती हैं।
ममता बनर्जी ने अपने मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने के लिए आरक्षण के मामले में हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं किया। यहां तक कि घुसपैठियों को भी उन्होंने लाभ दिलाया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCB) की एक रिपोर्ट से इस बात की जानकारी मिली है।
पिछड़े वर्ग की लिस्ट में बढ़ाई मुस्लिम जातियों की संख्या
रिपोर्ट से पता चला है कि सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने पिछड़े वर्ग की राज्य सूची में हिंदू जातियों की संख्या घटाई और मुस्लिम जातियों की संख्या बढ़ाई। इसके चलते बड़ी संख्या में हिंदुओं को आरक्षण का लाभ मिलने से वंचित रहना पड़ा। बांग्लादेश से आए भाटिया मुस्लिमों को भी पिछड़े वर्ग की राज्य सूची में शामिल किया गया, जिससे उन्हें आरक्षण का लाभ मिला।
2011 के बाद बढ़ी पिछड़े वर्ग की मुस्लिम जातियों की संख्या
2011 से पहले पश्चिम बंगाल में पिछड़े वर्ग की राज्य सूची में शामिल जातियों की कुल संख्या 108 थी। इनमें 53 मुस्लिम जातियां और 55 हिंदू जातियां थी। 2011 के बाद पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल जातियों की संख्या 71 रह गई है। इसमें 65 मुस्लिम जातियां और 6 हिंदू जातियां हैं।
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65.9 फीसदी ओबीसी आबादी है मुस्लिम
पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में 70.5 फीसदी हिन्दू और 27 फीसदी मुस्लिम हैं। वहीं, ओबीसी आबादी की बात करें तो हिन्दू 34 फीसदी और मुस्लिम 65.9 फीसदी है। ओबीसी आबादी को दो कैटेगरी (कैटेगरी ए और कैरेटगरी बी) में बांटा गया है। कैटेगरी ए के लोगों को 10 फीसदी और बी के लोगों को 7 फीसदी आरक्षण मिलता है। कैटेगरी ए में मुस्लिम 90.1 फीसदी और हिन्दू 8.6 फीसदी हैं। वहीं, कैटेगरी बी में हिंन्दू 54 फीसदी और मुस्लिम 45.9 फीसदी हैं।