अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण जोरों पर चल रहा है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी। भगवान राम के गर्भगृह का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा और भक्तों के लिए जनवरी 2024 में इसे खोल दिया जाएगा। हालांकि, दूसरी मंजिल और मंदिर के अन्य हिस्सों का निर्माण जारी रहेगा। भगवान राम और सीता मां की मूर्तियों को बनाने के लिए शालिग्राम के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मूर्तियों को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वे नेपाल से खरीदे गए हैं और माना जाता है कि वे 60 मिलियन वर्ष पुराने हैं और नेपाल की काली गंडकी नदी में खोजे गए थे।
भगवान राम की मूर्ति की ऊंचाई 5 से 5.5 फीट के बीच होगी। भगवान राम की ऊंचाई इस तरह से चुनी गई है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे भगवान राम के माथे पर पड़े। यानि कि राम लला की मूर्ति पर राम नवमी के दिन सूर्य की किरणें अभिषेक करें। मूर्तियों का निर्माण अयोध्या में होगा जहां राम मंदिर का निर्माण चल रहा है। इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित करेंगे। उस दिन ऐसे समय किया जाएगा जब पांच मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर रहेंगी। इसे सूर्य तिलक कहा गया है।
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मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले ही उसे दान मिलना शुरू हो गया और मंदिर ट्रस्ट द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, जनवरी 2023 से मंदिर का दान तीन गुना बढ़ गया है। अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के मूल गर्भगृह में राम लला की बाल्यकाल की पांच फुट ऊंची, धनुर्धारी रूपी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। रामलला की नई मूर्ति को लेकर विचारविमर्श करने के लिए अयोध्या में ट्रस्ट की दो दिवसीय बैठक सोमवार से आयोजित हुई थी। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि हमें शीर्ष संतों और हिंदू विद्वानों से सुझाव मिले हैं कि राम लला की प्रतिमा उनके बाल्यकाल की, करीब 5-6 साल के बच्चे की तरह होनी चाहिए। विचार यह है कि केवल एक, खड़ी मुद्रा वाली प्रतिमा बनाई जानी चाहिए।