राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। बता दें 20 जून 2022 को द्रौपदी मुर्मू ने अपना 64वां जन्मदिन मनाया। ऐसे में पार्टी ने बर्थडे के दूसरे दिन उन्हें तोहफा दिया है। देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल मुर्मू, झारखंड की पहली महिला गवर्नर भी रह चुकी हैं। उन्होंने 18 मई 2015 को पद संभाला था। दो बार विधायक रह चुकी द्रौपदी ने अपने करियर की शुरुआत टीचर के रूप में की। उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में भी काम किया है। उन्हें बेस्ट विधायक के अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। इनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था। वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं। मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी। उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं। मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं।
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द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी। ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया। पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है। द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वे भाजपा के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा हैं।