दिवाली की धूम तो धनतेरस से ही शुरू हो जाती है और वैसे तो हर साल धनतेरस आते ही बाजारों में लोगों की खरीददारी करने के लिए भीड़ लग जाती है, लेकिन इस बार धनतेरस की तिथि मतभेद के कारण लोग कंफ्यूज है कि धनतेरस 12 नवंबर को मनाएं या फिर 13 नवंबर को। कुछ लोग कह रहे है कि धनतेरस 12 यानी कि आज है जो सायं 9.30 से लग रही है, तो कुछ लोग कह रहे है कि 6.31 पर लग रही है। अधिकांश विद्वानों की राय में धनतेरस का त्योहार 13 नवंबर को होगा लेकिन कुछ स्थानों पर रात्रिव्यापिनी त्रयोदशी के कारण धनतेरस का पर्व गुरुवार को भी होगा। ज्योतिषियों के अनुसार धनतेरस के दोनों ही बहुत शुभ हैं। दोनों ही दिन खरीददारी की जा सकती है।
13 को खरीदारी के शुभ मुहूर्त
प्रात: 7 से10 बजे तक
दोपहर 12 से 2.30 बजे तक
शाम 04 से 5.30 बजे तक
रात्रि 8.45 से 10.25 बजे तक
धनतेरस की पूजा के लिए ये मुहूर्त रहेगा उत्तम
12 नवंबर- रात्रि 9.30 बजे
13 नवंबर- शाम 5.30 से 7.30 बजे तक ( स्थिर लग्न, वृष)
धनतेरस पर मिठाइयां और औषधियों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरि को चढ़ाई गई औषधियों को प्रसाद के तौर पर खाना भी चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से बीमारियां दूर होती है। आज के दिन चांदी के बर्तन या चांदी खरीदने से घर में शांति आती है और क्लेश खत्म होता है। सोना खरीदने से सौंदर्य और समृद्धि बढ़ती है। घर में यदि धनतेरस के दिन तांबे का बर्तन लाते हैं तो धर्म और पुण्य की वृद्धि होती है। इसके साथ ही ज्यादा लाभ और परिवार वालों के रोग खत्म होते हैं। इसके अलावा स्टील के बर्तन भी खरीद सकते हैं। इस दिन मिट्टी से बने बर्तन और दीपक भी खरीदना शुभ माना जाता है। महत्वपूर्ण पर्व होने के कारण धनतेरस पर पूजा-पाठ की चीजें, कपड़े और वाहन खरीदी भी की जाती है। इस दिन प्रॉपर्टी संबंधी निवेश या लेन-देन करना भी शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर लोहे से बने बर्तन कड़ाही, तवा, चिमटा आदि नहीं खरीदने चाहिए। मान्यता है कि इस शुभ दिन नुकीले सामान जैसे चाकू, छुरी, कैंची, हसिया जैसी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। इस दिन कांच और प्लास्टिक से बने सामान खरीदने से बचना चाहिए। एल्युमिनियम के बर्तन सेहत के लिए ठीक नहीं होते हैं। इसलिए ऐसे बर्तन भी नहीं खरीदने चाहिए। धनतेरस के दिन स्टील के ही बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
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भगवान धनवंतरि को कृष्णा तुलसी, गाय का दूध और उससे बने मक्खन का भोग लगाना चाहिए। पूजा में लगाए गए दीपक में गाय के घी का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा प्रदोष काल में यमराज के लिए दीपदान जरूर करना चाहिए। इसके लिए आटे से चौमुखा दीपक बनाना चाहिए। उसमें सरसों या तिल का तिल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में या देहली पर रखना चाहिए। ऐसा करते हुए यमराज से परिवार की लंबी उम्र की कामना करनी चाहिए। माना जाता है ऐसा करने से अकाल मृत्यु होने की संभावना नहीं रहती।