सरकार के खिलाफ किसानों ने खोला मोर्चा, करतारपुर गलियारा बना नए विवाद की वजह

कभी करतारपुर गलियारा खोलने के लिए यहां पर भारी संख्या में धार्मिक एकजुटता हो रही थी और अब गलियारा की जमीन का मुआवजा न मिलने से नाराज किसानों ने सोमवार को इस गलियारा मार्ग को बंद कर दिया है। आखिरकार किसानों ने करतारपुर गलियारा बनाने के लिए दी भूमि का पूरा मुआवजा लेने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है।

करतारपुर गलियारा को लेकर किसानों ने शुरू किया हंगामा

सोमवार सुबह सीमावर्ती गुरदासपुर जिला के डेरा बाबा नानक के तीन गांवों चंदू नंगल ,जोड़ियां खुर्द और पखोके टाहली साहब के किसानों ने करतारपुर गलियारा के मुख्य द्वार के सामने अनिश्चितकालीन रोष प्रदर्शन शुरू करने के साथ मार्ग को जाम कर दिया है। किसानों ने गलियारा के भीतर काम करने वाले कर्मचारियों को भी अंदर नहीं जाने दिया। करतारपुर गलियारा के लिए सरकार ने 400 किसानों से 111 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। किसान इस गलियारे के लिए 80 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा मांग रहे थे लेकिन मामला 35 लाख रुपये प्रति एकड़ में तय हो गया था।

रोष धरना दे रहे किसानों का कहना था कि जब गलियारा बनाने के लिए केंद्र ने किसानों की भूमि अधिग्रहण की थी उस वक्त किसानों से कहा गया था कि मुआवजे समेत भूमि देने वाले प्रत्येक किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी या फिर पांच लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे। साथ ही परिवार के एक सदस्य की पेंशन भी दी जाएगी। लेकिन अभी तक ये वादे पूरे नहीं किए गए। किसानों का ये भी कहना था कि अभी तक कई किसानों को उनकी भूमि का मुकम्मल मुआवजा नहीं दिया गया है और गलियारा की ऊंची सड़क बनने से उनके खेत नीचे रह गए हैं। इसके कारण पानी का निकास नहीं हो रहा, जिससे फसलें खराब हो रही हैं।

अधिकारियों ने भूमि में लगे ट्यूबवेल, पशु शेड और वृक्षों के मुआवजे के भी प्रस्ताव बनाकर भेजे थे। अभी तक उनका मुआवजा भी नहीं मिला है। इसके साथ-साथ गलियारा के उद्घाटन के वक्त 46 एकड़ भूमि में बनाई टेंट सिटी और पंडाल का मुआवजा भी किसानों को नहीं दिया गया। किसानों का आरोप है कि इस बारे में बार-बार प्रशासनिक अधिकारियों को कहा जाता रहा है लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की जिसके चलते आज बरसात में ही किसानों को करतारपुर गलियारा के मुख्य द्वार के सामने प्रदर्शन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहाकि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, तब तक यह रोष प्रदर्शन जारी रहेगा।

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इस बाबत डेरा बाबा नानक के उपमंडल मजिस्ट्रेट अर्शदीप सिंह का कहना था कि भूमि का मुआवजा लगभग सभी किसानों को दे दिया गया है और जो किसान मुआवजा लेने नहीं आए थे उन्हें बार-बार संदेश दिए जा रहे हैं। जबकि फॉरेस्ट अवार्ड की आठ लाख रुपये की राशि, जिसके बारे में नेशनल हाईवे को रिपोर्ट देनी है और अन्य सर्वेक्षण रिपोर्ट भी राष्ट्रीय राजमार्ग को देने हैं, उसके बाद ही शेष भूमि की धनराशि जारी होगी। उन्होंने बताया कि नौकरी वाले मामले में ऐसी कोई बात प्रशासन की तरफ से लिखित रूप में नहीं थी। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन के अधिकारी किसानों से बातचीत कर रहे हैं और मामले का समाधान निकाल लिया जायेगा।