130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी है तमिल की विरासत को बचाना- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में महीने भर चलने वाले ‘काशी तमिल संगमम’ का आज उद्घाटन किया. वाराणसी पहुंच पीएम मोदी ने रिमोट के जरिए काशी तमिल संगमम कार्यक्रम का आगाज किया. ‘काशी तमिल संगमम’ का आयोजन 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक वाराणसी (काशी) में किया जा रहा है. इसका उद्देश्य देश के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन ज्ञान केंद्रों- तमिलनाडु एवं काशी के बीच सदियों पुरानी कड़ियों को फिर से तलाशना और उनका उत्सव मनाना है. इस दौरान तमिलनाडु से आए हजारों यात्री इस काशी तमिल संगमम में शामिल हुए.

-हमारे पास दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है. आज तक ये भाषा उतनी ही पॉपुलर है. ये हम 130 करोड़ देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है, उसे समृद्ध भी करना है: पीएम मोदी

-काशी और तमिलनाडु दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं. दोनों क्षेत्र संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं: पीएम मोदी

– काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं. एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है. काशी-कांची के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है: PM मोदी

-एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है, तो दूसरी और, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र, हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है. ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है: PM मोदी

-पीएम मोदी ने कहा- हमारे देश में संगमों का बड़ा महत्व रहा है. नदियों और धाराओं के संगम से लेकर विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के संगम का हमने जश्न मनाया है. इसलिए काशी तमिल संगमम अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है.

-‘काशी-तमिल संगमम’ को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ संबोधित कर रहे हैं. उन्होंने कहा- बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ‘काशी-तमिल संगमम’ का आयोजन किया जा रहा है. इससे दक्षिण का उत्तर से अद्भुत संगम हो रहा है. सहस्त्राब्दियों पुराना संबंध फिर से नवजीवन पा रहा है.

-पीएम मोदी ने वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम का उद्घाटन किया. यह काशी तमिल संगमम कार्यक्रम एक महीने यानी 16 दिसंबर तक चलेगा.

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क्या है इसका उद्देश्य

‘काशी तमिल संगमम’ का आयोजन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अन्य मंत्रालयों जैसे कि संस्कृति, वस्‍त्र, रेल, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना व प्रसारण मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार और आईआईटी मद्रास समेत बीएचयू के सहयोग से किया जा रहा है. इस आयोजन का उद्देश्य इन दोनों ही क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के लोगों को एकजुट होने, अपने ज्ञान, संस्कृति व सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर प्रदान करना है. मंत्रालय के अनुसार, इस विशिष्‍ट आयोजन के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) दो कार्यान्वयन एजेंसियां हैं.

तमिलनाडु से 2500 मेहमान होंगे शामिल

छात्र, शिक्षक, साहित्य, संस्कृति, शिल्प, अध्यात्म, विरासत, व्यवसाय, उद्यमी, पेशेवर आदि सहित 12 श्रेणियों के तहत तमिलनाडु के 2,500 से अधिक प्रतिनिधि वाराणसी के आठ दिवसीय दौरे पर आएंगे. इसके तहत 200 छात्रों के प्रतिनिधियों के पहले समूह ने 17 नवंबर को चेन्नई से अपना दौरा शुरू किया. वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने बताया कि इस एक महीनें के आयोजन में दोनों राज्यों के संस्कृति, कला का समागम है जिसमें 12 ग्रूप में करीब 2500 मेहमान तमिलनाडु से काशी आएंगे. इनमें शिक्षक, छात्र, विद्वान, कलाकार, किसान शामिल होंगे