- अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने सौंपा हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन
- साहित्य परिषद ने देशभर में चलाया हस्ताक्षर अभियान
लखनऊ। महाकुम्भ के बारे में अनर्गल टिप्पणी करने वाले नेताओं के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन मंगलवार को लखनऊ कलेक्ट्रेट में दिया गया।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयुक्त महामंत्री डा. पवनपुत्र बादल के नेतृत्व में लखनऊ महानगर की ओर से परिषद के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी की अनुपस्थिति में एडीएम प्रशासन डा. शुभी सिंह को ज्ञापन सौंपा।
इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महानगर अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त, लखनऊ दक्षिण की अध्यक्ष डा. नीतू शर्मा, लखनऊ महानगर की महामंत्री ममता पंकज, महानगर के संयुक्त महामंत्री राजीव वत्सल,प्रदेश सह मीडिया प्रभारी बृजनन्दन राजू व लखनऊ दक्षिण की मीडिया प्रभरी ज्योति किरन उपस्थित रहीं।
महाकुम्भ के बारे में अनर्गल प्रलाप ठीक नहीं: डा. पवनपुत्र बादल
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा. पवनपुत्र बादल ने कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महाकुम्भ के बारे में अनर्गल प्रलाप ठीक नहीं है। अन्यान्य लोगों ने महाकुंभ पर बयान देकर करोड़ों सनातनधर्मियों का अपमान और आस्था को ठेस पहुंचाने का काम किया है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद इनकी घोर निन्दा ही नहीं अपितु इसे अक्षम्य अपराध मानते हुए इन्हें कठोर दण्ड देने की मांग करती है।
डा. पवनपुत्र बादल ने कहा कि सनातन परम्परा के महाकुम्भ को देश के कुछ लोगों ने षड़यंत्रपूर्वक बदनाम करने का प्रयास किया। महाकुंभ के बारे में नकारात्मक बयान दिये गये। ऐसे वक्तव्य संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। देशभर के साहित्यकारों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के लखनऊ महानगर के अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त ने बताया कि लखनऊ के 50 से अधिक साहित्यिक संस्थाओं के सदस्यों और पत्रकारों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन भेजा जा रहा है, जिसमें नकारात्मक टिप्पणियां करने वाले नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की गई है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी बृजनन्दन राजू ने कहा कि महाकुंभ में सामाजिक समरसता के घोष ने विश्वभर में सनातन चेतना का पुनर्जागरण का शंखनाद किया है। इससे विधर्मियों व परिवारवादी लोगों में खलबली मच गयी है।