दारोगा जी! मैं 30 साल का हो गया हूं, मेरी शादी करवा दीजिए….,थाने पहुंचे युवक की गुहार

‘साहब मेरे परिजन और रिश्तेदार शादी नहीं करा रहे हैं, इसीलिए मैं मानसिक रूप से पागल हो रहा हूं, आप मेरी शादी करा दीजिए’. यह प्रार्थना पत्र लेकर एक युवक उरई कोतवाली पहुंचा, जिसके बाद वहां मौजूद सभी पुलिकर्मियों की हंसी छूट पड़ी. युवक ने प्रभारी निरीक्षक को प्रार्थना पत्र देते हुए अपनी शादी की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि वह 30 साल का हो गया है, लेकिन परिजन उसकी शादी नहीं करवा रहे. जिसके बाद प्रभारी निरीक्षक ने उसे आश्वासन देकर घर भेजा.

मामला उरई कोतवाली का है, यहां जालौन तहसील के शेखपुर बुजुर्ग का रहने वाला शाहिद शाह पुत्र मिट्ठू उरई कोतवाली में शादी कराने को लेकर प्रार्थना पत्र लेकर पहुंचा था. उसने कोतवाली के अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक अरविंद यादव को प्रार्थना पत्र देते हुए कहा कि उसकी उम्र 30 वर्ष हो चुकी है, परंतु अभी तक उसकी शादी नहीं हुई है. जिसकी वजह से अपने जीवन जीने के अधिकार से वंचित है. वह काफी समय से परेशान हैं, लेकिन परिवार एवं रिश्तेदार के लोगों ने अभी तक मेरी शादी के बारे में नहीं सोचा है, इसी वजह से मानसिक रूप से परेशान रहता है. यदि उसकी शादी नहीं कराई गई तो वह मानसिक रूप से पागल हो जाएगा. जल्द ही उसकी शादी करा दीजिए. यदि उसकी शादी करा दी जाती है तो वह शादी के बाद अपनी जीवनसाथी को सदैव खुशहाल रखेगा. शादी कराने पर वह हमेशा पुलिस का आभारी रहेगा.

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परिजनों ने युवक को मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया

यह प्रार्थना पत्र जैसे ही कोतवाली लेकर पहुंचा सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए. उसके प्रार्थना पत्र को पढ़ते हुए कोतवाली के अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक ने उसको बैठाया और उसकी समस्या को सुनते हुए उसकी शादी कराने का आश्वासन भी दिया. प्रार्थना पत्र आने पर पुलिस द्वारा युवक के परिजनों को बुलाया गया, जहां उनसे बैठकर बात की गई. इस दौरान परिजनों द्वारा बताया गया है कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है, जिस कारण वह हमेशा इस तरह की हरकत करता है. फिलहाल पुलिस ने परिजनों को समझा कर युवक को घर भेज दिया. वहीं इस मामले में अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार यादव का कहना है कि युवक प्रार्थना पत्र लेकर आया था, उसे परिजनों के साथ समझा-बुझाकर घर भेज दिया गया है. साथ ही परिजनों से कहा कि उसके लिए लड़की देखी जाये, जिससे उसकी शादी कराई जा सके और युवक अपनी पीड़ा से निकल सके.