आम आदमी पार्टी के मंत्री सत्येंद्र जैन को निलंबित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया। ने कहा कि सत्येंद्र जैन को हम सीधे नहीं हटा सकते। ये मुख्यमंत्री को विचार करना है कि क्या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को मंत्री के रूप में जारी रखने की अनुमति दी जाए या नहीं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य के सर्वोत्तम हित में कार्य करना मुख्यमंत्री का काम है। कोर्ट ने कहा किइस पर विचार करना है कि क्या एक जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है या जिस पर नैतिक अधमता से जुड़े अपराधों का आरोप लगाया गया है, उसे नियुक्त किया जाना चाहिए या नही? उसे मंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।
लाइव लॉ की खबर के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि इस समय यह ध्यान रखना उचित है कि न्यायालय का यह कर्तव्य नहीं है कि वह मुख्यमंत्री को निर्देश जारी करे। इसके साथ ही खंडपीठ ने ये भी कहा कि न्यायालय का ये कर्तव्य भी है कि वह इन प्रमुख कर्तव्य धारकों को हमारे संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के संबंध में उनकी भूमिका के बारे में याद दिलाए। मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के सदस्यों को चुनने और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति से संबंधित नीति तैयार करने में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं।
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अदालत ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसे डॉ. नंद किशोर गर्ग ने पेश किया था, जो त्रिनगर निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा (तीन बार) के सदस्य रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि जैन इस साल मई से हिरासत में हैं और इसी कारण से उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद से हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन को सभी भत्तों और विशेषाधिकारों के साथ जारी रखने की अनुमति देना, भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहने वाले किसी भी “सरकारी कर्मचारी” को निलंबन का सामना करना पड़ता है और यही समानता श्रीमान पर भी लागू होनी चाहिए।