उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार युवा नेता और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ किश्मत आजमा रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव और चंद्रशेखर रावण के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात बनते-बनते रह गई. अच्छी खासी शोहरत हासिल कर चुके चंद्रशेखर हाथरस रेप पीड़िता के लिए आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे.
चंद्रशेखर रावण के गोरखपुर से मैदान में उतरने के वजह से से जिले के चुनाव का रोमांच बढ़ गया है. सबसे बड़ी मुसीबत तो बसपा के लिए है और वो अपने वोट बैंक को सहेजने में जुट गई है. पेशे से वकील चंद्रशेखर युवा लड़कों की टोली के साथ क्षेत्र में घूम घूम कर अपने लिए वोट मांग रहे हैं.
नाम से साथ रावण क्यूं जुड़ा है इस सवाल पर वह कहते हैं कि यह मीडिया की ही देन हैं. जब मैं जेल में था उसी दौरान मेरे खिलाफ काफी खबरें चलती थीं उसी में ये नाम जुड़ गया. खैर मुझे कोई दिक्कत नहीं है. रावण विद्वान था और लड़ा भी अपने लोगों के लिए. मैं भी अपने लोगों की लड़ाई लड़ रहा हूं.
चंद्रशेखर कहते है कि वो मंदिर मस्जिद की राजनीति नहीं करते, लोकतंत्र में पूरी आस्था हैं. उनकी कोशिश है कि सारे अम्बेडकरवादी लोग साथ आएं और मिलकर जनता की समस्याओं का निराकरण करने में सहयोग करें.
गोरखपुर से चुनाव लड़ने को लेकर चंद्रशेखर का कहना है यहां मंडल और कमंडल की लड़ाई है. बेरोजगार युवा परेशान है. चुनाव में उनका मुख्य मुद्दा हेल्थ, ऐजुकेशन और रोजगार है.
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सहारनपुर में हुआ जन्म
आपको बता दें कि चंद्रशेखर रावण का जन्म पश्चिम यूपी के सहारनपुर जिले में 1986 में हुआ था. रावण के पिता एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल हैं. शुरू से जुझारू प्रवृत्ति के रावण दलितों की मुक्ति को लेकर काम करते रहे हैं. 2018 में अपने दो साथियों के साथ मिलकर भीम आर्मी बनाई जो शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम करता है. यह संगठन पश्चिमी यूपी के कई जिलों में दलितों के लिए मुफ्त स्कूल भी चलाता है. दंगों में संगठन की कथित भागीदारी के चलते यूपी एसटीएफ ने चंद्रशेखर रावण को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. जेल से निकलने के बाद रावण सामाजिक और राजनीतिक सरोकार के मामले उठाते रहे हैं.