किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र को दी बड़ी चेतावनी, सरकार को याद दिलाई लाल किला हिंसा

कोरोना महामारी की तीसरी वेव की आशंका के बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि पिछले सात महीने से किसान आंदोलन चल रहा है। सरकार को क्या शर्म नहीं आती? आंदोलन की आगे की स्थिति को लेकर राकेश टिकैत ने कहा है कि कोरोना की तीसरी वेव आती है तो भी हम यहीं रहेंगे। राकेश टिकैत ने ट्वीट के जरिए सरकार को ये साफ संकेत दे दिया है कि आंदोलन किसी भी कीमत पर वापस होने वाला नहीं है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा सुन ले सरकार किसान एक बार फिर से हैं तैयार। उन्होंने ये भी लिखा आंदोलन खत्म नहीं होगा ये शांतिपूर्ण तरीके से चलता रहेगा।

26 जनवरी को हिंसक किसान आंदोलन की याद दिलाते हुए राकेश टिकैत ने साफ कहा कि चार लाख ट्रैक्टर भी यहीं है, 25 लाख किसान भी यहीं और 26 तारीख भी हर महीने आती है। राकेश टिकैत ने ट्वीट कर लिखा कि ‘चार लाख ट्रैक्टर भी यही हैं, दिल्ली के ढब को खड़े खड़े घे करें वे, वो 25 लाख किसान भी यही हैं और 26 तारीख भी हर महीने आती है ये सरकार याद रख लें ।।। अपने ट्वीट्स में राकेश टिकैत ने बिल_वापसी_ही_घर_वापसी हैशटैग का इस्तेमाल किया है।  इससे पहले राकेश टिकैत ने 21 जून को ट्वीट करते हुए कहा था कि देश को लुटेरों से बचाने के लिए तीन चीजें जरूरी है। सरहद पर टैंक, खेत में ट्रैक्टर, युवाओं के हाथ में ट्विटर।

जनवरी से ही रुकी है बातचीत

केंद्र और आंदोलनकारी किसानों की बातचीत जनवरी से ही रुकी है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, हालांकि किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। सरकार और किसान यूनियनों ने गतिरोध खत्म करने और किसानों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए 11 दौर की बातचीत की है, जिसमें आखिरी बातचीत 22 जनवरी को हुई थी, जनवरी के बाद से बातचीत नहीं हुई है।

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सरकार ने की थी ये पेशकश

20 जनवरी को हुई 10वें दौर की बातचीत के दौरान केंद्र ने 1-1।5 साल के लिए कानूनों को निलंबित रखने और समाधान खोजने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी, जिसके बदले में विरोध करने वाले किसानों से दिल्ली की सीमाओं से हटकर अपने घर जाने को कहा गया था। किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि ये कानून मंडी और एमएसपी खरीद प्रणाली को खत्म कर देंगे और किसानों को बड़े कॉरपोरेट्स की दया पर छोड़ देंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी 11 जनवरी को अगले आदेश तक इन तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी और गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति बनाई। भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति से खुद को अलग कर लिया था।