अंडा-चिकन खाने वाले बर्ड फ्लू को लेकर रहें सतर्क, जाने क्या है इसके लक्षण और इलाज

कोरोना की वैक्सीन के आने पर लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि देश में एक नई खतरनाक बीमारी दस्तक देने लगी। देश के कई राज्यों से बर्ड फ्लू नाम की बीमारी फैलने की खबरें आ रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब , हिमाचल प्रदेश, केरल से आ रही इन खबरों के बीच लोगों को एलर्ट रहने को कहा गया है। केरल ने तो इसे राजकीय आपदा घोषित कर दिया है। कहा जा रहा है कि बर्ड फ्लू के संक्रमण को देखते हुए अंडे-चिकन के शौकीनों को अब सतर्क हो जाना चाहिए, तो अगर आप भी इस तरह की खबरों से चिंता में है तो आइये जानते है बर्ड फ्लू के लक्षण और ईलाज के बारे में…

बर्ड फ्लू क्या है?

बर्ड फ्लू, एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (H5N1) की वजह से होता है। ये वायरस संक्रमित पक्षियों और इंसानों दोनों के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है। ये वायरल इंफेक्शन की तरह होता है। बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले जानवर और इंसान, दोनों ही इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। पंचकुला के बरवाला के पोल्ट्री फॉर्म में पिछले कुछ दिनों में लगभग एक लाख मुर्गियों की मौत हो चुकी है।

बर्ड फ्लू के लक्षण

– कफ

– डायरिया

– बुखार

– सांस लेने में तकलीफ

– मांसपेशियों में दर्द

– गले में खराश

– नाक बहना

– बेचैनी

इस तरह किया जा सकता है बर्ड फ्लू के संक्रमण से बचाव

ये वायरस प्राकृतिक रूप से पक्षियों में होता है। सबसे तेजी से ये मुर्गियों में फैलता है। संक्रमित पक्षी मृत हो तो भी इसे खाने से ये मानव शरीर में पहुंच जाता है। इस वायरस की खास बात ये है कि ये संक्रमित पक्षी के मल, लार में 10 दिन तक जिंदा रह सकता है। अंडो को उबाला जाए तो भी ये समाप्त नहीं होता। तो ऐसे में इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि आधे पके अंडे या फिर चिकन को न खाए। जो लोग मुर्गीपालन आदि कार्यों से जुड़े हैं उन्हें इस वायरस की चपेट में आने का सबसे अधिक खतरा होता है। इसके अलावा संक्रमित पक्षियों की जगह पर जाने वाले, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले, कच्चा या अधपका मुर्गा-अंडा खाने वालों को ये वायरस अपनी चपेट में ले लेता है। तो जरुरी है कि अंडें या फिर किसी भी जीवित या मृत पक्षी को छूने के बाद 20 सेकेंड तक साबुन से हाथ धोये।

बर्ड फ्लू का ईलाज

इसका ईलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है। लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं खानी होती हैं। अगर घर में कोई एक संक्रमित हो जाए तो बाकी परिवारजनों को भी ये दवाएं लेनी आवश्यक होती हैं। भले ही बाकी अन्य परिवारजनों में बीमारी के लक्षण हों या ना हों। संक्रमण से बचाव के लिए घर में कोई पालतू पक्षी को न रखें। साथ ही मौजूदा समय में खुले बाजार या छोटी दुकानों से मांस की खरीददारी करने से बचे।

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क्या करें क्या नहीं

इससे बचाव के लिए फ्लू की वैक्सीन लगवाएं। बाजार में जाने, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से बचें। अधपका चिकन, अधपका अंडा, कम तापमान पर उबाला गया अंडा आदि खाने से बचें। घर में हाइजीन बनाए रखें। समय-समय पर हाथ धोते रहें।