दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की गाइडलाइन पर रोक लगा दी है, जिसमें होटल और रेस्तरां को बिल में ऑटोमैटिक या डिफ़ॉल्ट तरीके से सेवा शुल्क (Service Charge) जोड़ने से रोक दिया गया था। बता दें कि नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने CCPA की ओर से 4 जुलाई को जारी गाइडलाइंस को कोर्ट में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि एसोसिएशन के सदस्य सेवा शुल्क का भुगतान (Service Charge Payment) करने के लिए ग्राहक के दायित्व को विस्तार और प्रमुखता से अपने मेनू पर दिखाएंगे। कोर्ट ने एसोसिएशन के अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड किया कि टेकअवे पर कोई सर्विस चार्ज नहीं लगाया जाएगा। अदालत ने कहा कि “डू नॉट पे, डू नॉट एंटर” यह ग्राहक के पसंद पर निर्भर करता है।
NRAI ने तर्क दिया था कि सेवा शुल्क की वसूली 80 से अधिक वर्षों से उद्योग में एक स्थायी प्रथा रही है। “ऐसा कोई कानून नहीं है जो रेस्तरां को सेवा शुल्क लेने से रोकता है। न तो कोई नया कानून बनाया गया है और न ही मौजूदा कानूनों में कोई संशोधन किया गया है, जो सर्विस चार्ज की वसूली को अवैध मानता है। यह भी तर्क दिया गया कि उचित प्रमाणीकरण और दिशानिर्देशों की घोषणा के अभाव में, इसे सरकार के आदेश के रूप में नहीं माना जा सकता है।
एसोसिएशन ने यह भी तर्क दिया कि सेवा शुल्क की वसूली “इंडस्ट्रियल हॉमोनी” के रूप में रेस्तरां के प्रबंधन द्वारा लिया गया एक नीतिगत निर्णय है और यह मालिक का विवेक है कि वह अपना व्यवसाय कैसे चलाए।
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वहीं सीसीपीए ने गाइडलाइंस में यह भी कहा था कि यूजर्स से किसी अन्य नाम से सर्विस चार्ज नहीं वसूला जाएगा। जारी किए गए गाइडलाइन में कहा गया था कि होटल और रेस्तरां में सेवा शुल्क लगाने के संबंध में अनुचित व्यापार प्रथाओं और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए है। इस गाइडलान में जो प्रमुख बात कही गई थी कि “खाद्य बिल के साथ इसे जोड़कर और कुल राशि पर जीएसटी लगाकर सेवा शुल्क नहीं लिया जाएगा।”