51 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ है देवीपाटन, यहां गिरा था सती का वाम स्कंध

51 शक्तिपीठों में प्रधान पीठ मंदिर देवीपाटन अपने ऐतिहासिक धार्मिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां नवरात्रि के मौके पर देश दुनिया से श्रद्धालु देवीपाटन पहुंच मां पाटेश्वरी जी के दर्शन पूजन करते हैं।

चैत्र नवरात्रि में एक माह तथा शारदीय नवरात्रि में 15 दिवसीय मेला लगता है। 07 अक्टूबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि पर शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन में लगने वाले मेले व भारी संख्या में श्रद्धालुओं के आवागमन को लेकर मंदिर व स्थानीय प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। रेल प्रशासन द्वारा दर्शनार्थियों के सुगम आवागमन के लिए मेला स्पेशल ट्रेन चलाई जाएगी, वहीं विद्युत विभाग 24 घंटे पूरे क्षेत्र को कटौती मुक्त रखेगा। साफ सफाई, सुरक्षा ,पेयजल सहित बिंदुओं पर व्यापक व्यवस्था किए गए है।

07अक्टूबर से शुरु हो रहे शारदीय नवरात्रि में श्रद्धालुओं के शक्तिपीठ देवीपाटन में आवागमन को लेकर जिलाधिकारी श्रुति की अगुवाई में बैठक की जा चुकी है। जिसमें रेलवे द्वारा मेला स्पेशल ट्रेन, 24 घंटे विद्युत, साफ सफाई, पेयजल, परिवहन को लेकर निर्देश दिये गये हैं। शक्ति पीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी स्वयं व्यवस्थाओं की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टिगत पूरे मंदिर परिसर को 54 सीसीटीवी लगाये गये हैं जिनके माध्यम से पूरे परिसर पर नजर रखी जा रही है। मंदिर के पीठाधीश्वर ने बताया कि साफ सफाई सहित सभी विंदुओं पर व्यापक व्यवस्था की गई है।

मंदिर का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व

शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन की गणना 51 शक्ति पीठ पीठों में प्रधान के रूप में होती है। यहां पर मां सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था। पट सहित गिरने से यहां आदि शक्ति पाटेश्वरी देवी के रुप में विश्वविख्यात है। इन्हीं के नाम पर क्षेत्र का नाम देवीपाटन है। यहां कि ऐतिहासिक, धार्मिक महत्व को देखते हुए तत्कालीन प्रदेश सरकार ने इन्हीं के नाम पर तीन जिलों को मिलाकर देवीपाटन मंडल बनाया था। महाभारत काल के दानवीर राजा कर्ण यही पर शक्ति की आराधना करते हुए गर्भगृह के पास ही सरोवर में स्नान कर सूर्य पूजन करते थे। सरोवर को आज भी सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है।

महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने यहां रमायी थी धूनी, आज भी है अखंड धूना

यह महायोगी गुरु गोरक्षनाथ की तपोस्थली भी रही है। योग साधना ,धर्म का प्रसार करते हुए महायोगी देवीपाटन पहुंचे थे। यहां मां सती की वाम स्कंध गिरने के उपरांत,पीठ की स्थापना कर यहां कुछ समय तक धूनी रमाये थे। आज भी वह धूनी युगों-युगों से जल रही है, जिसे अखंड धूनी के नाम से जाना जाता है। अखंड धूनी के पास काल भैरव की भव्य प्रतिमा स्थापित है। मां पाटेश्वरी के दर्शन पूजन उपरांत श्रद्धालु काल भैरव का दर्शन अवश्य करते है। मंदिर की व्यवस्था गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर द्वारा की जाती है, गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर के महंत होने के नाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सीधे यहां की व्यवस्था देते हैं। वर्तमान में इस पीठ के पीठाधीश्वर मिथिलेश नाथ योगी के कुशल देखरेख मंदिर संचालित है।