उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने वाले ब्रजेश पाठक को रोजाना सैकड़ों लोगों की समस्याओं को सुनने का ईनाम मिला। भाजपा संगठन की ओर से ब्रजेश पाठक के बायोडाटा में सबसे महत्वपूर्ण बिन्दू मिला कि वह प्रतिदिन सुबह के वक्त अपने आवास पर आने वाले सैकड़ों फरियादियों की समस्याओं को सुनते हैं और उसके निवारण के लिए अंत तक प्रयास करते है।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लखनऊ में सबसे पहले 1989 में पहचान मिली थी। ब्रजेश पाठक 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में कूद थे और उन्हें जीत मिली थी। फिर दूसरे ही वर्ष 1990 में उन्होंने छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर भी जीत हासिल की थी। अपने छात्रसंघ जीवन के समय के लोगों से लेकर अभी तक जुड़े समस्त समर्थकों का उन्होंने साथ देने का पूरा प्रयास किया। 33 वर्ष के वक्त बीतने के बाद भी पुराने मित्रों को ये नहीं भूले और जिससे जुड़े तो जुड़े रह गये।
लखनऊ की गलियों से ठीक से वाकिफ उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पिछली बार भाजपा के टिकट पर लखनऊ मध्य विधानसभा से जीते थे और इस बार उन्होंने कैण्ट विधानसभा से जीत हासिल की।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लखनऊ ही नहीं सीतापुर, लखीमपुर, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव जैसे जिलों में भी हजारों परिवार बखुबी जानते हैं। ब्रजेश पाठक की लोकप्रियता का एक प्रमुख कारण यही रहा है कि वे अपने आवास पर पहुंचने वाले हर व्यक्ति की समस्या सुनते है। उसके बाद संंबंधित विभाग को व्यक्ति के कार्य से अवगत करा के समस्या को दूर करने का पूर्ण प्रयास करते है। ब्रजेश पाठक के सरकारी आवास पर रोजाना ही भारी भीड़ उमड़ती है और लोगों का विश्वास उनसे जुड़ा रहता हैं।
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वैसे तो उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को जानने वाले लोगों की संख्या बहुत हैं। उनके समर्थकों में हरदोई जिले के गंगारामपुर के रहने वाले लोग भी है, जिनके ब्रजेश पाठक पड़ोसी हैं। हरदोई के मल्लावां के मोहल्ला गंगारामपुर में ब्रजेश पाठक का घर है। यहां के लोगों की माने तो ब्रजेश भईया से काम कह दो, तो वो उसे अपना मानकर करते है। पूरे दमखम से काम में जुट जाते हैं।