कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने चुराया मोदी का मंत्र, जमकर बजाई ताली-थाली

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बीते लगभग तीन महीने से जारी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कांग्रेस केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर नजर आ रही है। इसी क्रम में इस बार कांग्रेस की किसान इकाई ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया है। हालांकि, किसान कांग्रेस ने यह प्रदर्शन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मंत्र ही चुराया। दरअसल, जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी कोरोना काल के दौरान कोरोना के लिए लोगों की एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए ताली और थाली बजवाई थी, उसी तरह से इस बार किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए ताली और थाली बजाई।

कांग्रेस की किसान इकाई ने जमकर किया प्रदर्शन

कांग्रेस पार्टी की किसान इकाई ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। उन्होंने इन कानूनों को खेती को बर्बाद करने वाला करार देते हुए इन्हें जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की।

दरअसल, कांग्रेस की किसान इकाई ‘किसान कांग्रेस’ ने केंद्रीय कृषि मंत्री के कार्यालय का घेराव करने की योजना बनाई थी। हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को  24 अकबर रोड स्थित पार्टी मुख्यालय पर ही रोक दिया। पुलिस ने सुरक्षा का हवाला देते हुए बेरिकेडिंग लगाकर किसी भी प्रदर्शनकारी को कृषि मंत्री के कार्यालय की ओर नहीं जाने दिया।

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद किसान कांग्रेस के कार्यकर्ता पार्टी मुख्यालय के सामने ही प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान उन्होंने ताली-थाली बजाकर केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। उनका कहना है कि मोदी सरकार के मंत्री पहले वार्ता के नाम पर किसानों को बरगलाने का काम करते रहे और अब तो किसानों को अलग-थलग कर छोड़ दिया गया है।

किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि सरकार को किसानों की बातों को सुनना चाहिए और उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए। कानून वापस लिये जाने की मांग को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार को ना तो किसानों की चिंता है और ना ही खेती की परवाह है। इन्हें सिर्फ बड़े उद्योगपतियों की पड़ी है और उनके हितों को ध्यान में रखकर ही फैसले किए जा रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पिछले तीन महीने से किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। इस दौरान किसान संगठनों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि अपनी मांगों को लेकर किसान अब भी प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं।