कांग्रेस ने उठाया राम मंदिर ट्रस्ट के कथित घोटाले का मुद्दा, सुप्रीम कोर्ट से की बड़ी मांग

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े कथित जमीन सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप के मामले में कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह भी किया कि मंदिर निर्माण के चंदे के रूप में प्राप्त राशि व खर्च का ऑडिट भी कराया जाए।

कांग्रेस नेता ने लगाए गंभीर आरोप

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ‘भगवान श्रीराम आस्था के प्रतीक हैं लेकिन राम की अयोध्या नगरी में मंदिर निर्माण हेतु करोड़ों लोगों से एकत्रित चंदे का दुरुपयोग और धोखाधड़ी महापाप और घोर अधर्म है। इस घोर कृत्य में भाजपा नेता शामिल हैं।’

उन्होंने आगे कहा कि जमीन की रजिस्ट्री के दोनों कागजों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्रा गवाह के तौर पर मौजूद हैं। दोनों कागजों पर दूसरे गवाह भाजपा के प्रमुख नेता और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय हैं। इसका मतलब साफ है कि दो करोड़ रुपये मूल्य की जमीन पांच मिनट में 18.5 करोड़ रुपये में खरीदने के निर्णय की राममंदिर निर्माण ट्रस्ट के न्यासियों को पूरी जानकारी थी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार 05 फरवरी, 2020 को हुआ। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि करोड़ों लोगों द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए दी गई दान राशि में घोर महापाप, अधर्म व घोटाला हुआ है। इस बावजूद प्रधानमंत्री परेंद्र मोदी चुप हैं। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री बताए कि क्या भगवान राम की आस्था का सौदा करने वाले पापियों को उनका संरक्षण प्राप्त है? आखिर मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम पर इतना बड़ा कदाचार भाजपा नेताओं ने कैसे किया? पीएम को यह भी बताना चाहिए कि ‘इस प्रकार और कितनी जमीन मंदिर निर्माण के चंदे से औने-पौने दामों पर खरीदी गई है?’

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रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए इस ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किया गया। ऐसे में जब घोटाले का तथ्य सामने आया है, तो कांग्रेस पार्टी की मांग है कि प्रधानमंत्री देशवासियों के सवालों का देश को जवाब दें। साथ ही चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले का संज्ञान लेकर जांच करवाएं।