देश भर में हाहाकार मचा रही कोरोना महामारी के बीच नदी में बहती लाशों के मसले पर ट्वीट करना रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह को महंगा पड़ गया है। सूर्य प्रताप सिंह के खिलाफ उन्नाव में एफआईआर दर्ज की गई है। उन पर ट्वीट के माध्यम से जन मानस को भड़काने के प्रयास का आरोप लगाया गया है। उन्नाव सदर कोतवाली पुलिस ने उनके ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस का दावा है कि जो 100 शव गंगा में बहते हुए दिखाए जा रहे हैं, वह जनवरी 2014 का मामला है। सदर कोतवाली में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पर महामारी एक्ट, आपदा प्रबंधन एक्ट व आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार दर्ज एफआईआर में बताया गया कि, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने एक ट्वीट में लिखा था, ’67 शवों को योगी सरकार ने गंगा के तट पर जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफन किया है। शवों का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से न करना हिंदुओ के लिए कलंक जैसा है। यूपी का यह योगी मॉडल जीवित को इलाज नहीं , मृतक का अंतिम संस्कार नहीं।’ एफआईआर के अनुसार, रिटायर्ड अधिकारी ने एक फोटो भी शेयर किया, जिसमें शव गंगा में बहते हुए जा रहे हैं। जिसको लेकर पुलिस का दावा है कि जो 100 शव गंगा में बहते हुए दिखाए जा रहे हैं, वह जनवरी 2014 का मामला है।
बता दें कि रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने 12 मई को ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें गंगा के किनारे कुछ दफन शवों को दिखाया गया। उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा था, ‘उन्नाव में गंगा के किनारे दफनाई गयी लाशें हिन्दुओं की हैं जिनका अंतिम संस्कार ग़रीबी के कारण वैदिक रीति रिवाज से नहीं हो सका। मौत के असली आंकड़े भी इन हिंदू कब्रों में ही दफन हो गए। योगी सरकार की नाकामी के शिकार इन निर्दोषों की मौत में सकारात्मकता कहां से खोजें, मोदी जी?’
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हालांकि सूर्य प्रताप सिंह ने एक अन्य ट्वीट में योगी सरकार पर तंज कसते हुए लिखा, ‘सुना है ‘तैरती लाशों’ पर ट्वीट करने वालों पर मुकदमा करने की तैयारी है। शवों को नौंचने वाले चील, कौये, कुत्तों पर मुकदमा न हो जाये और कोरोना पर भी।’