“नियमों के तहत कराया गया बंगला खाली”: चिराग पासवन के अपमान वाले आरोप पर सरकार की सफाई

नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान द्वारा 12 जनपथ बंगले को खाली कराने वाला मामला पिछले कुछ दिनों से काफी सुर्खियां बटोर रहा है. बंगला खाली करने पर चिरगा से सरकार पर निशाना साधा था. अब इस मामले में सरकार ने दावा किया है कि नियमों के अनुसार कार्रवाई की गई है, जबकि बंगले में रहने वाले को खाली करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनका परिवार एक महीने तक बंगले में रह सकता था.

सूत्रों ने आगे कहा कि परिवार नियमानुसार किराया देकर एक महीने और रुक सकता था. “सामान्य पूल बंगला, 12, जनपथ (टाइप -VIII) 14 मार्च, 1990 को तत्कालीन श्रम और कल्याण मंत्री के रूप में रामविलास पासवान को आवंटित किया गया था. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में, रामविलास पासवान उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे और 8 अक्टूबर, 2020 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.

इसलिए आधिकारिक नियमों के अनुसार, परिवार को ये बंगला खाली करना था. सरकार के सूत्रों ने यह भी बताया कि चिराग पासवान ने बंगला खाली करने के लिए भेजे गए नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. लोजपा प्रमुख संयोग से अपने पिता की पहली पुण्यतिथि तक घर में रहना चाहते थे. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, संपत्ति अधिकारी ने 14 जुलाई, 2021 को बेदखली का आदेश पारित किया था. इसके बाद, निष्कासन टीम को बंगले में पांच बार भेजा गया था.

टाइप VIII बंगले आम तौर पर केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित किए जाते हैं. सूत्रों ने बताया कि यह बंगला मोदी सरकार में मंत्रियों को आवंटित किया जाना था, जिन्होंने पिछले साल सात जुलाई को शपथ ली थी. सरकार ने सबसे पहले बंगला चिराग पासवान के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को दिया था, जिन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. इसके बाद में यह बंगला केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित कर दिया गया.

चिराग पासवान को अगस्त 2019 में ‘टाइप VII डुप्लेक्स बंगला नंबर 23, नॉर्थ एवेन्यू’ आवंटित किया गया था. लेकिन उन्होंने 12, जनपथ में रहना जारी रखा. केंद्र सरकार लोगों को बंगले में निर्धारित सीमा से अधिक नहीं रहने देने की नीति पर कायम है. सुषमा स्वराज और अरुण जेटली जैसे नेताओं ने एक बार मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री नहीं रहने के बाद निर्धारित अवधि के भीतर आधिकारिक आवास खाली कर दिया था.

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भारत के उपराष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों के भीतर एम वेंकैया नायडू ने भी अपना घर खाली कर दिया जो उन्हें एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर केंद्रीय मंत्री के रूप में आवंटित किया गया था. पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी सफदरजंग रोड से सरकारी आवास खाली करेंगे, जो केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया जाएगा. अगर निशंक सरकारी आवास खाली नहीं करते तो उनके खिलाफ बेदखली की कार्रवाई की जा सकती है