लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार विभिन्न योजनाओं की घोषणाओं के बड़े-बड़े दावे सिर्फ विज्ञापनों में ही दिखाई दे रहे हैं। सरकार विज्ञापन व प्रचार आदि में सरकारी धन पानी की तरह बहाती है, लेकिन जमीनी हकीकत में इसका लाभ अगर यहां के खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मिल रहा होता तो वे क्यों पलायन करने को मजबूर होते?
उन्होंने शनिवार को ट्वीट कर कहा है कि यूपी के गांव-देहातों में रोजी-रोटी के घोर अभाव से त्रस्त गरीब व बेरोजगार लोग अति-मजबूरी में लगातार पलायन कर रहे हैं, जिन्हें बाहर असहनीय जीवन जीना पड़ता है। जौनपुर के ऐसे ही एक दलित युवक की हरियाणा में पीट कर हत्या कर दी गई, अति-दुखद। सरकारी नीतियां कब प्रभावी होंगी? बसपा विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी स्तर पर जातीय समीकरण का ढांचा मजबूत करने में जुट गई है। बसपा प्रबुद्ध सम्मलेन के अगले चरण में मंडल स्तर पर ‘बसपा प्रबुद्ध समाज मंडल संयोजक’ नाम से टीम बनाने जा रही है। इसमें ब्राह्मण, ठाकुर के साथ अन्य उच्च जातियों को इसमें रखा जाएगा। यह संयोजक मंडल बसपा सेक्टर प्रभारियों की तर्ज पर काम करेगा। इसका मकसद बसपा के लिए बूथ स्तर पर जमीन तैयार करना होगा।
अपने दम पर चुनाव की तैयारी : बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी धर्मों को जोड़ने का सिलसिला शुरू किया गया है। बसपा के पास दलित वोट बैंक पहले से है। पिछड़ों को जोड़ने के लिए प्रत्येक सेक्टरों में इस जाति के लोगों को अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। उच्च वर्गों को जोड़ने के लिए जिले स्तर पर प्रबुद्ध विचार गोष्ठी का दौर शुरू किया गया है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी गई है। प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी का दौर 16 से 26 अगस्त तक चलेगा।
संयोजक मंडल का खाका तैयार : बसपा सुप्रीमो ने अब प्रबुद्ध समाज मंडल संयोजक कमेटियां बनाई जा रही हैं। इस मंडल के प्रमुख की जिम्मेदारी ब्राह्मण को दी जाएगी। इसके साथ ही इसमें उच्च जातियों को जोड़ा जाएगा। इसका मकसद बूथ स्तर पर सम्मेलन करना है। इसके सहारे उच्च जातियों को बसपा के साथ जोड़ने का काम किया जाएगा। प्रबुद्ध समाज मंडल संयोजक दल सम्मेलन के दौरान बसपा सरकार में किए गए कामों की जानकारी देगा। इसके साथ ही उनके हितों में किए जाने वाले कामों को भी बताएगा। बसपा का मानना है कि इससे वर्ष 2007 की तर्ज पर उसके पक्ष में माहौल बनेगा और उसे विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें मिलेंगी।