कोविशील्ड को मान्यता देने पर झुका ब्रिटेन, अब वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को बताया परेशानी की जड़

भारत सरकार के सख्त रुख के बाद ब्रिटेन कोविशील्ड को मान्यता देने के मामले में झुकता नजर आ रहा है। भारत द्वारा जवाबी कदम उठाए जाने की चेतावनी के बाद ब्रिटेन ने भारत में कोविशील्ड की दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों को उनके देश की यात्रा  के लिए मंजूरी तो दे दी है, लेकिन अब वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमेरिका और दुनिया के तमाम अन्य देश कोविशील्ड वैक्सीनेशन करवा चुके भारतीयों को यात्रा के लिए मंजूरी पहले ही दे चुके हैं।

ब्रिटिश सरकार की नवीनतम गाइडलाइन में भारत के वैक्सीन सर्टिफिकेट को समस्या बताया गया है। इसमें चार सूचीबद्ध वैक्सीन के फार्मूलेशन के बारे में बताया गया है, जिसमें एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड (AstraZeneca Covishield) , एस्ट्राजेनेका वैक्सजेवरिया और मॉडर्ना टेकेडा को मान्यता प्राप्त टीके के तौर पर बताया गया है।

ब्रिटेन ने अब नई ट्रेवल पॉलिसी में कोविशील्ड को मान्यता प्राप्त वैक्सीन का दर्जा दे दिया है, लेकिन कहा है कि यह भी कहा है कि दोनों वैक्सीन डोज लगवा चुके भारतीयों को अभी भी क्वारंटाइन रहना होगा। उसने वैक्सीनेशन सर्टिफिकेशन को लेकर सवाल खड़े किए हैं। ब्रिटिश सरकार की नवीनतम गाइडलाइन में भारत के वैक्सीन सर्टिफिकेट को परेशानी की असली वजह बताया गया है। इसमें चार सूचीबद्ध वैक्सीन के फार्मूलेशन के बारे में बताया गया है, जिसमें एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सजेवरिया और मॉडर्ना टेकेडा को मान्यता प्राप्त टीके के तौर पर बताया गया है।

इस गाइडलाइन में कहा गया है कि कोविशील्ड की दो डोज लगवा चुके भारतीयों को अभी भी क्वारंटाइन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि कोविशील्ड समस्या नहीं है, लेकिन वैक्सीनेशन सर्टिफिकेशन को लेकर ब्रिटेन को संदेह है। ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि वो भारत के साथ वैक्सीन सर्टिफिकेशन का दायरा बढ़ाने को लेकर बातचीत कर रही है।

ब्रिटेन के ताजा रुख से मामला और पेचीदा होता नजर आ रहा है, क्योंकि भारत ने भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन को मंजूरी न देने के मामले में जवाबी कदम उठाने की चेतावनी पहले ही दे चुका है। विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने मंगलवार को कहा था, भारतीय नागरिकों की ब्रिटिश यात्रा के लिए कोविशील्ड को मान्यता न देना भेदभावपूर्ण नीति है।

विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को बेहद मजबूती से ब्रिटेन के विदेश सचिव के समक्ष उठाया है। मुद्दे को हल करने का भरोसा दिया गया है। हालांकि ब्रिटेन के ताजा रुख से भी समस्या वहीं की वहीं बनी हुई है।