सियासी तनाव के बीच शुरू हुआ बंगाल विधानसभा सत्र, मुकुल-शुभेंदु पर रहेंगी निगाहें

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई सियासी हिंसा को लेकर सूबे की सत्ता पर लगातार तीसरी बार विराजमान हुई ममता सरकार और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है। इसी गर्म माहौल के बीच आज से नए विधानसभा सत्र की शुरुआत भी हो रही है। साथी ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता सरकार के बीच जारी तनाव को देखकर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यह सत्र काफी हंगामेदार होगा।

बंगाल हिंसा को लेकर ममता सरकार पर हमला बोलेगी बीजेपी

दरअसल, उम्मीद जताई जा रही है कि इस विधानसभा सत्र के दौरान सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी बंगाल हिंसा को लेकर जमकर हंगामा करेगी। ऐसे में बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और बीजेपी छोड़कर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके मुकुल रॉय पर सबकी निगाह रहेगी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनके ही पुराने साथी शुभेद्नु अधिकारी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं, बीजेपी की तरफ से शुभेंदु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष भी चुना गया है। ऐसे में इस अस्त्र के दौरान ममता और शुभेंदु अधिकारी के बीच तीखा कटाक्ष होने की संभावना जताई जा रही है।

इसके अलावा इस सत्र में बीजेपी छोड़कर तृणमूल में शामिल हुए मुकुल रॉय पर भी सबकी निगाह होगी। तृणमूल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए मुकुल रॉय भले ही तृणमूल में शामिल हो गए हैं लेकिन अभी भी उन्हों एब्ज्प विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। ऐसे में देखना है कि सत्र के दौरान मुकुल रॉय किस ओर बैठते हैं।

इसके अलावा ममता सरकार और राज्यपाल धनखड़ के बीच भी सियासी तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस सत्र की शुरुआत राज्यपाल के संबोधन से शुरू होगी। ये सत्र 8 जुलाई तक ही चलेगा। सात जुलाई को राज्य सरकार का बजट पेश किया जाना है।

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सत्र शुरू होने से पहले ही राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच जंग छिड़ी है। राज्यपाल को जो भाषण देना है, वह राज्य सरकार ही तैयार करती है। लेकिन जगदीप धनखड़ ने भाषण के कंटेंट पर आपत्ति जाहिर की है। सूत्रों की मानें, तो राज्यपाल अपने संबोधन में बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के बारे में कुछ कहना चाहते थे, लेकिन सरकार ने साफ किया कि संबोधन कैबिनेट से पास हो चुका है।

बता दें कि इससे पहले भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने एक संबोधन में राज्यपाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसे खुद राज्यपाल ने नकारा था।