किसानों का आंदोलन स्थगित करने का ऐलान, SKM ने प्रदर्शन खत्म करने के लिए सरकार के सामने रखी ये शर्त

नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने स्थगित करने का ऐलान किया है, लेकिन इसके साथ ही कहा है कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की और इसके साथ ही सरकार के सामने अपनी मांगे रखी। बता दें कि केंद्र सरकार चाहती है कि किसान धरना छोड़कर वापस अपने घर चले जाएं, हालांकि किसान सभी मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रखना चाहते हैं।

सरकार से किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी (SKM Leader Gurnam Singh Chaduni) ने कहा, ‘हम आंदोलन स्थगित कर रहे हैं, खत्म नहीं कर रहे हैं। जब सरकार सारी बातें मानेगी, तभी धरना खत्म करेंगे।’ इसके साथ ही चढ़ूनी ने सरकार से सभी आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ केस वापस लेने की भी मांग की।

SKM की 5 सदस्यीय कमेटी की बैठक

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की 5 मेंबर वाली हाई पावर कमेटी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है और यह मीटिंग नई दिल्ली में हो रही है। इस मीटिंग में बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, अशोक धावले और शिव कुमार कक्का शामिल हैं। सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की मीटिंग होगी, जिसके बाद आंदोलन को वापस लेने पर फैसला लिया जा सकता है।

केंद्र ने भेजा था लिखित प्रस्ताव

तीन कृषि कानूनों  (New Agrucultrue Laws) को रद्द करने और एमएसपी पर काननू बनाने सहित दूसरे मुद्दों पर समिति गठित करने की घोषणा के बाद केंद्र ने पहली बार मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के पास लिखित प्रस्ताव भेजा था। इसमें किसानों की सभी मांगों को मानने का जिक्र है, लेकिन मोर्चा के नेताओं ने उक्त प्रस्ताव का स्वागत करते हुए तीन प्रमुख आपत्तियों के साथ सरकार को वापस भेज दिया। किसानों की तरफ से उम्मीद जताई गई है कि सरकार उनकी चिंताओं पर सहनभूतिपूर्वक विचार कर बुधवार तक अपनी प्रतिक्रिया देगी।

भारत सबसे अधिक असमानता वाले देशों में शामिल, 10% लोगों के पास है आय का 57 फीसदी हिस्सा

एक साल से ज्यादा समय से धरने पर बैठे हैं किसान

नए कृषि कानूनों (New Agrucultrue Laws) के खिलाफ पिछले एक साल से ज्यादा समय से किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) चल रहा है और किसान दिल्ली की सीमाओं पर टिके हुए हैं। कानून रद्द करने से पहले सरकार ने कानूनों में बदलाव की घोषणा की थी। इसको लेकर सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया।