विहिप की बैठक में शामिल हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति, तो भड़क उठे ओवैसी, की आलोचना

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव का विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की बैठक में भाग लेना बिलकुल भी रास नहीं आया है। उन्होंने सोमवार को न्यायमूर्ति की कड़ी आलोचना की कार्यक्रम में न्यायाधीश की कथित टिप्पणी पर आपत्ति जताई।

ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर निकाली भड़ास

ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट किया कि विहिप पर कई मौकों पर प्रतिबंध लगाया गया। यह आरएसएस से जुड़ा हुआ है, एक ऐसा संगठन जिस पर वल्लभभाई पटेल ने घृणा और हिंसा की ताकत होने के कारण प्रतिबंध लगाया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया।

ओवैसी ने आगे लिखा कि इस कथन का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन आपके सम्मान को यह याद दिलाना अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है। उन्होंने लिखा कि कहा कि भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है। लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है।

ओवैसी ने न्यायमूर्ति यादव पर लगाए आरोप

ओवैसी ने कहा कि न्यायमूर्ति यादव की कथित टिप्पणी न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर आरोप है और न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है। उन्होंने पूछा कि एक अल्पसंख्यक पार्टी वीएचपी के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्ति से न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है?

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बैठक में जज ने क्या कहा?

रविवार को न्यायमूर्ति यादव ने प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में विश्व हिन्दू परिषद के विधिक प्रकोष्ठ के सम्मेलन में भाग लिया और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर भाषण दिया। उन्होंने कथित तौर पर कहा कि मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि यह हिंदुस्तान (भारत) है, यह देश बहुसंख्यकों (यानी हिंदुओं) की इच्छा के अनुसार काम करेगा। यह कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि आप (जस्टिस यादव) हाईकोर्ट के जज होने के बावजूद ऐसा कह रहे हैं। कानून बहुमत के हिसाब से काम करता है।