नोटबंदी के दौरान किया गया सभी प्रक्रियाओं का पालन, आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) ने सोमवार (5 दिसंबर, 2022) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि नोटबंदी (Demonetisation) के दौरान सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। आरबीआई ने कहा कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी (Note Ban) के दौरान 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बैन करने का निर्णय लेते समय आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 26 (2) में निर्धारित प्रक्रिया का विधिवत पालन किया गया था।

नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था कोर्ट

नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही थी। बेंच में जस्टिस बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामासुब्रमण्यम और बी वी नागरथना भी शामिल हैं। इस दौरान, आरबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि हमने हलफनामे पर कहा है कि नियमों द्वारा निर्धारित कोरम पूरा हो गया था। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कदम पर विचार-विमर्श फरवरी 2016 में शुरू हुआ था, लेकिन इसकी गोपनीयता बनाई रखी गई थी।

केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने दिया जवाब

वहीं, याचिकाओं ने तर्क दिया गया कि आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत, नोटबंदी की सिफारिश आरबीआई से आई होगी, लेकिन 2016 में ऐसा नहीं था। सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि सरकार इन तीन बुराइयों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “उन्होंने (याचिकाकर्ताओं) कहा कि हमें नोटबंदी के पहले विस्तृत अध्ययन करना चाहिए था। एक दशक से अधिक समय से केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तीन बुराइयों को देख रहे हैं.. ये जरासंघ की तरह हैं और आपको इसे टुकड़ों में काट देना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो ये बुराइयां हमेशा जीवित रहेंगी।”

वहीं, गुप्ता ने वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम के इस आरोप का भी जवाब दिया कि केंद्र ने अब तक आरबीआई को 7 नवंबर के पत्र और 8 नवंबर के कैबिनेट के फैसले सहित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए हैं और ना ही उन सबका विवरण दिया गया, जो आरबीआई सेंट्रल बोर्ड की बैठक में शामिल हुए। चिदंबरम ने यह भी सवाल किया कि क्या कोरम अधिनियम के तहत आवश्यक के रूप में पूरा किया गया था।

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चिदंबरम ने पूछा कि सरकार कोर्ट को कागजात क्यों नहीं दिखा रही है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया, “कुछ छुपाया नहीं जा रहा है। अगर अदालत इसके लिए कहती है, तो हम कोर्ट को जरूर दस्तावेज दिखाएंगे।”