डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल

अखिलेश ने डॉ. आंबेडकर का नाम मिटाया, योगी ने घर-घर पहुंचाया : डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल

लखनऊ । डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रति समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीतियों में बड़ा अंतर स्पष्ट है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शासनकाल में जहां बाबा साहब के नाम और योगदान को योजनाओं व संस्थानों से हटाने के आरोप लगे, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया।

यह बात उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य और प्रख्यात अंबेडकरवादी डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने वी.वी.आई.पी. अतिथि गृह, साकेत में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।

डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि 2012-2017 के अखिलेश शासनकाल में बाबा साहब के नाम को योजनाओं और संस्थानों से हटाने के कई प्रयास किए गए। उन्होंने इन उदाहरणों का उल्लेख किया:

1. आंबेडकर ग्राम विकास योजना से “डॉ. आंबेडकर” का नाम हटा दिया गया।
2. लखनऊ के डॉ. आंबेडकर हरित उद्यान का नाम बदलकर जनेश्वर मिश्र पार्क कर दिया गया।
3. रामपुर के डॉ. आंबेडकर तारामंडल से बाबा साहब का नाम विलोपित किया गया।
4. डॉ. आंबेडकर मेडिकल कॉलेज, कन्नौजका नाम बदल दिया गया।
5. लखनऊ के अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे का नाम बदलकर आलमबाग बस अड्डा कर दिया गया।
6. भीमनगर (संभल) का नाम विलोपित किया गया।
7. रमाबाई आंबेडकर नगर (कानपुर देहात) से रमाबाई का नाम हटा दिया गया।

डॉ. निर्मल ने इसे अखिलेश यादव की अंबेडकर विरोधी” मानसिकता करार दिया।

डॉ. निर्मल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने बाबा साहब को सम्मान दिलाने और उनके विचारों को प्रसारित करने में उल्लेखनीय काम किया। उनके शासनकाल में किए गए कार्यों में शामिल हैं:

1. 2017 में आदेश जारी कर प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में डॉ. आंबेडकर की तस्वीर लगाना अनिवार्य किया।
2. कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम पुनः डॉ. आंबेडकर मेडिकल कॉलेज रखा गया।
3. लखनऊ में *भारत रत्न डॉ. आंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण कराया जा रहा है।
4. स्मारक में डॉ. आंबेडकर की 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई।

डॉ. निर्मल ने कहा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल बाबा साहब के नाम को पुनः स्थापित किया, बल्कि उनके विचारों को दलित और समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने का काम किया। वे आज के ‘दलित मित्र’ हैं।”

डॉ. निर्मल के इस बयान ने सपा और भाजपा के राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर नई बहस छेड़ दी है। जहां सपा पर अंबेडकर विरोधी रवैया अपनाने के आरोप हैं, वहीं भाजपा ने बाबा साहब को जन-जन तक पहुंचाने का दावा किया है।