पाकिस्तान के साथ ’71 के युद्ध में भारत की जीत के 50 साल पूरे होने पर भारतीय वायुसेना कॉन्क्लेव में तीन दिनों की व्यापक चर्चा में आधुनिक युद्ध के नजरिये से भविष्य के लिए तैयार रहने पर जोर दिया गया। तीन दिन तक बेंगलुरु के येलाहंका वायु सेना स्टेशन में चले इस मेगा कार्यक्रम में वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों और रक्षा विशेषज्ञों ने विचारों का आदान-प्रदान किया। इसका उद्घाटन 22 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने करके तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और एकीकरण को बढ़ावा देने की बात कही थी।
वायुसेना प्रमुख ने कॉन्क्लेव में उपस्थित लोगों को किया संबोधित
कॉन्क्लेव के दूसरे दिन वक्ताओं ने 1971 के युद्ध में सैन्य और नागरिक परिप्रेक्ष्य के अलावा समसामयिक चुनौतियों और भविष्य के लिए सबक पर विचार-विमर्श किया। इस चर्चा में 1971 के युद्ध के दिग्गज, सशस्त्र बलों के अधिकारियों, राजनयिकों और नौकरशाहों ने एक मंच पर बातचीत करते हुए ‘राजनीतिक-सैन्य विचारों और लक्ष्यों की एकरूपता: एक राष्ट्र का जन्म’ विषय पर अपने विचार रखे। चर्चा के दौरान 1971 के युद्ध से संबंधित कई ऐसे छिपे हुए पहलू सामने आए जिनका विश्लेषण करते हुए वक्ताओं ने विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण सबक मिले।
कॉन्क्लेव के समापन सत्र को वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने संबोधित किया। उन्होंने सफल कॉन्क्लेव आयोजित करने के लिए प्रशिक्षण कमान की सराहना की। कॉन्क्लेव में हुई चर्चाओं के आधार पर एयर चीफ मार्शल ने आधुनिक युद्ध में गतिशील परिवर्तनों को पूरा करने के लिए भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्र की ताकत बढ़ाने के लिए कमांडरों से योजना प्रक्रियाओं और उद्देश्यों के बीच तालमेल बढ़ाने को कहा। अपने संबोधन के समापन में चौधरी ने उम्मीद जताई कि इस कॉन्क्लेव से मिले मूल्यवान दृष्टिकोण से अधिकारियों को भविष्य के लिए योजना बनाने में मदद मिलेगी।
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इस मौके पर ट्रेनिंग कमांड के एओसी-इन-सी एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह, साउथ वेस्टर्न एयर कमांड के एओसी-इन-सी एयर मार्शल विक्रम सिंह, वरिष्ठ युद्ध के दिग्गज, सेवारत अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। प्रशिक्षण कमान के वरिष्ठ अधिकारी एयर मार्शल बी चंद्रशेखर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और उनके योगदान के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।