5G की याचिका के बाद जूही चावला ने फिर खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा, हैरानी में पड़े जज

दिल्ली हाईकोर्ट ने 5जी तकनीक को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल करने वाली जूही चावला और अन्य याचिकाकर्ता को एक सप्ताह में ₹ 20 लाख जमा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के आचरण पर हैरानी जताई है। न्यायमूर्ति जे आर मिधा ने कहा कि, चावला और अन्य याचिकाकर्ता जमानत की रकम जमा करने के लिए भी तैयार नहीं थे।

जस्टिस अदालत की फीस की वापसी, वेवर ऑफ कास्ट और फैसले में खारिज किए गए रिप्लेस करने के लिए दिए गए आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे। सीनियर एडवोकेट मीत मल्होत्रा ने वेवर ऑफ कास्ट के लिए दिए गए आवेदन को वापस लेने के बाद कहा कि, जुर्माने की रकम एक सप्ताह या 10 दिन में जमा करा दी जाएगी या इसके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जाएगा। उनकी इसी बात पर अदालत ने यह प्रतिक्रिया जताई।

कोर्ट ने कहा कि एक तरफ आप महत्वहीन आवेदन देते हैं और फिर उसे वापस लेते हैं और याचिकाकर्ता जुर्माने की रकम जमा करने को भी तैयार नहीं हैं। अदालत ने कहा कि, ‘वास्तव में हमने नरम रुख अपनाते हुए जूही चावला सहित अन्य याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की और केवल 20 लाख का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया।’

जज ने वकील से कहा, ‘मैं शॉक्ड हूं। कोर्ट ने इस मामले में नरम रुख अपनाया और अवमानना की कार्रवाई नहीं की… मैं ऐसा करने का इच्छुक था। आप कहते हैं कि अदालत को जुर्माना लगाने की कोई शक्ति नहीं थीं, लेकिन अदालत के पास अवमानना की कार्रवाई करने की शक्ति है। कोर्ट ने जूही और अन्य के वेवर ऑफ कास्ट के आवेदन पर सख्त आपत्ति जताई।’

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इसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील मल्होत्रा ने अदालत से कहा कि, हमारा स्टैंड यह नहीं था कि हम जुर्माने का भुगतान नहीं करेंगे और इसकी माफी के लिए आवेदन में किसी तरह का दबाव भी नहीं डाला गया है। ऐसी कोई अपेक्षा नहीं है। आज भी मेरा निर्देश है कि, किसी ने नहीं कहा कि जुर्माने की रकम जमा नहीं की जाएगी। मैंने फैसले में देखा है क्या लिखा है। वकील ने कहा, मैं पूरी तरह से समझता हूं। कोर्ट ने मल्होत्रा का यह बयान दर्ज कर लिया कि, उन्हें रकम जमा करने के लिए एक सप्ताह का समय चाहिए और वे सभी कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं।