पंजाब के अमृतसर में इस्लामाबाद पुलिस स्टेशन के पास मंगलवार सुबह एक जोरदार धमाका हुआ, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई। यह धमाका सुबह करीब 3 बजे हुआ, जिससे लोग चौंक गए और शांतिपूर्ण रात में खलल पड़ गया। निवासियों ने बताया कि धमाका इतना जोरदार था कि घर हिल गए और कुछ ने बताया कि धमाका होने के कारण दीवारों से पेंटिंग गिर गईं।
पुलिस स्टेशन के अंदर कोई धमाका नहीं हुआ
इस्लामाबाद के पुलिस अधिकारी जसबीर सिंह ने धमाके की आवाज़ सुनने की पुष्टि की, लेकिन स्पष्ट किया कि पुलिस स्टेशन परिसर के अंदर कोई धमाका नहीं हुआ। अधिकारी वर्तमान में विस्फोट के स्रोत और विस्फोट के सटीक स्थान की जांच कर रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए पूछे जाने पर स्थानीय पुलिस ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिससे घटना को लेकर संदेह और बढ़ गया।
गैंगस्टर ने ली जिम्मेदारी
गैंगस्टर जीवन फौजी ने कथित तौर पर अपुष्ट स्रोतों के माध्यम से विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। हालांकि, पंजाब पुलिस ने अभी तक घटना की पुष्टि नहीं की है या गैंगस्टर की संलिप्तता पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
स्थानीय प्रतिक्रिया और चल रहे अनुसंधान
शक्तिशाली विस्फोट के बाद इलाके के निवासी अभी भी डर के माहौल में हैं। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बहुत ज़्यादा कंपन और शोर हुआ जिससे पूरा समुदाय जाग गया। अधिकारियों ने विस्फोट के कारण का पता लगाने और भीड़ द्वारा किए गए दावों की पुष्टि करने के लिए जांच शुरू कर दी है।
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स्थिति की जांच जारी है तथा अधिकारी तथ्यों को उजागर करने के लिए काम करते समय निवासियों से शांत रहने का आग्रह कर रहे हैं।
इससे पहले अमृतसर के मजीठा थाने में बुधवार रात करीब 10 बजे थाने के अंदर धमाका हुआ था। धमाका इतना जोरदार था कि पुलिस स्टेशन की खिड़कियां टूट गई थीं। इस धमाके के बाद इलाके में दहशत फैल गई. यह विस्फोट पुलिस स्टेशन गेट के पास एक खुले क्षेत्र में हुआ। घटना के बाद थाने के गेट बंद कर दिए गए थे।
एनआईए ने शेयर की थी रिपोर्ट
वहीं, बीते दिन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने पंजाब पुलिस के साथ एक रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि पंजाब को दहलाने की साजिश रची जा रही है। इसमें सबसे पहला निशाना पंजाब के पुलिस थाने होंगे क्योंकि इससे पहले भी पंजाब में करीब पांच पुलिस स्टेशनों पर ग्रेनेड और आईईडी हमले हो चुके हैं। ऐसी आशंका के बाद एनआईए पंजाब पर नजर रख रही थी। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खालिस्तानी आतंकवादी 1984 में इस्तेमाल किए गए डेड ड्रॉप मॉडल की तर्ज पर हमले कर रहे हैं, जिसके बाद केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं।